डॉ. तरूण प्रसाद 1

भरत अग्रवाल. चंडीगढ़ दिनभर


मार्केट कमेटी स्टाफ व आढ़तियों की मिलीभगत से होने वाली फीस चोरी से चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी अच्छे से अवगत हैं। इसे रोकने के लिए स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड ने एंट्री गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स से लेकर ऑक्शन रिकॉर्डर व सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई थी ताकि सब्जी मंडी व ग्रेन मार्केट में एंट्री करने वाली हर गाड़ी की डिटेल नोट की जाए।


कुछ दिनों तक सब ठीक चला, गाड़ियों की डिटेल को रिकॉर्ड भी किया गया। ऐसा होने से मार्केट कमेटी स्टाफ व आढ़तियों में भय का माहौल बना हुआ है, उन्हें पता हैं कि यदि आगे ऐसा चला तो उनके काले चिट्ठे यूटी प्रशासन के अधिकारियों के पास होंगे। अब मार्केट कमेटी स्टाफ व आढ़तियों ने फीस चोरी का एक नया तरीका ढूंढ़ निकाला है। वर्तमान में कुछ आढ़ती जो फीस चोरी को अपना अधिकार समझ बैठे हैं। सब्जी मंडी में एंट्री किए बिना सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर फल और सब्जी बेच रहे हैं। हैरानी की बात है कि सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने पर तुरंत चालान काटने वाली ट्रैफिक पुलिस भी खामोश है।

गौरतलब है कि चंडीगढ़ दिनभर ने मार्केट कमेटी फीस चोरी से लेकर सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। इसके बाद बोर्ड के सेके्र टरी रूपेश कुमार ने मार्केट कमेटी को आदेश दिए थे कि एंट्री गेट पर सुपरवाइजर व ऑक्शन रिकॉर्डर और सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात करें। ताकि सब्जीमंडी व ग्रेन मार्केट के एंट्री प्वाइंट हर वाहन का रिकॉर्ड दर्ज किया जा सके। सूत्रों के अनुसार सब ठीक चला।
आदेश लागू होने के बाद मार्केट कमेटी फीस बढ़ी थी, जिस पर मार्केर्ट कमेटी स्टाफ चिंतित था। और उन्हें डर है कि यदि फीस बढ़ी तो उन पर फीस चोरी के आरोप पर कार्रवाही हो सकती है। इस कार्रवाई से बचने के लिए आढ़ती और मार्केट कमेटी के स्टाफ ने एंट्री प्वाइंट से पहले ही सड़क पर वाहन खड़े कर सब्जी और फल बेच रहे हैं।

फीस चोरी रोकने का हो सकता विरोध

स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड की ओर से दिए आदेश का पालन हो, उसकी कोई गांरटी नहीं, लेकि न विरोध होना तय है। सूत्रों के मुताबिक मार्केट कमेटी स्टाफ ने आढ़तियों को एंट्री गेट पर नियुक्त किए गए सिक्योरिटी गार्ड के नुकसान बताने शुरू कर दिए हैं। असल में मार्केट कमेटी स्टाफ खुद को बचाने के लिए ऐसा कर रहा है। यदि आदेशों का पालन ईमानदारी से किया गया तो फीस कई गुना बढ़ सकती हैं और मार्केट कमेटी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

मार्केट कमेटी सेके्रटरी न होना खामी

मार्केट कमेटी में सेक्रेटरी की पोस्ट पिछले करीब 18 माह से खाली है, जिस कारण मार्केट कमेटी का स्टाफ मनमानी करने में लगा है। इसी वजह से मार्केट कमेटी फीस कम होती जा रही है। यदि मार्केट कमेटी सेके्रटरी नियुक्त होता तो बोर्ड के आदेशों की सही से पालना भी होती और आढ़तियों के दिमाग में विरोध के बीज बो रहे मार्केट कमेटी स्टाफ मेंबर्स भी ऐसा न करते।

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