
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़। सेक्टर-25 में अलग-अलग लोगों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 9 करोड़ रुपए में 200 मकान बेचने के मामले में बिना एलॉटमेंट लेटर के एस्टेट ऑफिस की तरफ से 6-6 हजार की रसीद काट दी थी। जिसके चलते एस्टेट ऑफिस के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी शक के घेरे में हैं। हालांकि अभी तक मुख्य आरोपी फरार है। पुलिस का कहना है कि उसके पकड़े जाने के बाद भी मामले में अहम खुलासे होंगे। एस्टेट आफिस के एरिया इंस्पेक्टर एक बार भी अलॉट हुए मकान को चेक करने नहीं आए। क्लर्क बाबू ने भी जाली अलॉटमेंट लेटर देखकर मालिक को सब सुविधा मुहैया करवाई।
इससे साबित होता है कि सेक्टर 25 निवासी फरार आरोपी बलविंदर सिंह से एस्टेट ऑफिस के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी मिले हुए हैं। मकान बिकने पर हर किसी को काम के अनुसार रुपयों में से हिस्सा मिला था। एस्टेट आफिस में ऐसे काम तुरंत किए जाते थे ताकि किसी को भनक न लगे। आरोपी बलविंदर सिंह पर एफआईआर होने के बाद सेक्टर 25 के लोगों के हडकंप मंच गया। अब लोग स्थानीय पार्षद पूनम शर्मा के पास जाली अलॉटमेंट लेकर पहुंच रहे है। बलविंदर कई मकान को दो-दो बार लोगों को बेच चुका है, जिनका विवाद आपसी चल रहा है।
बलविंदर से खरीदने वाले करीब एक दर्जन से ज्यादा लोग अपने -अपने कागजात लेकर पार्षद के पास पहुंचे। पार्षद ने कागजात चेक करवाए तो जाली पाए गए। जिसके बाद लोगों की पैरों की जमीन खिसक गई। जाचं में सामने आया कि बलविंदर सिंह जिस मकान नंबर- 458-459 में रहता है, उसके भी जाली कागजात बने हुए हैं। जाली कागजात के चलते ही एस्टेट आफिस ने मकान नंबर- 458 सील कर दिया था। लेकिन बलविंदर सिंह ने मकान ने 459 से मकान नंबर- 458 के अंदर जाने का रास्ता खोल रखा है। सील मकान के अंदर अभी भी बलविंदर के परिजन रह रहे हैं। जबकि बाहर से मकान सील किया हुआ है।