
पत्रकार ने दोपहर 12:51 बजे अफसर को फोन किया एक बजे सफाई कर्मी पहुंचे, 2:30 बजे तक मंडी साफ
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़ सेक्टर-26 की सब्जी मंडी में गंदगी के अंबार लगे रहते हैं। महीने में 26 लाख रुपए मार्केट कमेटी नगर निगम को देती है, उसके बावजूद सफाई नहीं होती। वीरवार को मंडी के हालात देखने के लिए चंडीगढ़ दिनभर के पत्रकार सुबह ही वहां पहुंच गए। मुआयना किया। सुबह 9:30 बजे गंदगी से भरी सड़कों के फोटो खींचे। सब्जी मंडी के प्रधान से बात की। 12:51 बजे एमओएच विनय मोहन को फोन किया। मात्र चार मिनट में 12:55 बजे जेसीबी पहुंच गई। एक बजे नगर निगम इंस्पेक्टर परवीन 15-20 सफाई कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे और सफाई शुरू दी। 2:30 बजे तक सारी गंदगी साफ की जा चुकी थी। मंडी के बदतर हालात के लिए मार्केट कमेटी के अफसर और सुपरवाइजर सबसे बड़े दोषी हैं जो कभी द तरों से बाहर निकलकर देखते ही नहीं कि आखिर चल क्या रहा है।
सुपरवाइजर रिपोर्ट देते हैं और अफसर साइन कर लाखों रुपए महीना जारी कर देते हैं। अगर सभी अपने काम को ईमानदारी से करने लगें तो ये नौबत ही न आए। उ मीद है, भविष्य में नगर निगम और मंडी सुपरवाइजर अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभाएंगे। अगर नहीं निभाएंगे तो हमारी नजर लगातार उनके ऊपर ही है। वे ईमानदार रहें न रहें, हम लोगों की परेशानी को पूरी ईमानदारी से तब तक उठाएंगे जब तक उसका समाधान नहीं हो जाता।

निगम के हाथ में जाते ही सफाई ठप
सब्जी मंडी की सफाई का ठेका पहले 5 लाख रुपए प्रति महीना दिया हुआ था। फिर मार्केट कमेटी ने सफाई का जि मा नगर निगम को 26 लाख रुपए महीना में दे दिया। उसी दिन से मंडी का बुरा वक्त शुरू हो गया। रोज के हिसाब से करीब लाख रुपए खर्च है लेकिन सफाई सप्ताह में एक या दो दिन ही होती है। नियमानुसार रोजाना सफाई लाजिमी है। हैरत की बात है कि मार्केट कमेटी इसका मुआयना भी नहीं करती। सिर्फ चेक काटकर दे देती है। रोजाना सफाई न होने से यहां आने वाले लोग और काम करने वाले काफी परेशान होते हैं। कीचड़ में चलने को मजबूर हैं। कई तरह के इन्फेक्शन व बीमारियां होने का डर रहता ह लेकिन कोई सुध ही नहीं लेता। सबसे बड़ी बात है कि एमओएच विनय मोहन भी इस बात से हैरान थे कि रोजाना सफाई नहीं होती। बारिश के बाद हालात ऐसे थे कि दो कदम चलना दूभर था।
2:30 बजे तक उठा लिया गया कचरा
