
घोटाले में निगम और बैंक के कर्मचारियों की भूमिका से मना नहीं किया जा सकता : एसपी केतन बंसल
नगर निगम चंडीगढ़ में हुए करोड़ों के पार्किंग घोटाले में मेयर अनूप गुप्ता, कमिश्नर आनंदिता मित्रा और एसपी केतन बंसल ने रविवार को संयुक्त प्रेसवार्ता कर बताया कि पार्किंग घोटाले में कंपनी का डायरेक्टर संजीव शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि मुख्य आरोपी अनिल की तलाश जारी है। यह भी सामने आया है कि पार्किंग न सिर्फ सबलेट थी, बल्कि इनमें बैंक और नगर निगम की मिलीभगत भी हो सकती है।
एसपी केतन बंसल ने कहा कि अभी इस घोटाले में निगम और बैंक के कर्मचारियों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि आरोपी संजय को सात मार्च को अरेस्ट किया गया और 6 दिन के रिमांड के बाद अब दोबारा सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
बता दें कि इस घोटाले की जांच नगर निगम की ओर से थाना 17 पुलिस में दर्ज करवाई गई थी, जिसके बाद इसकी जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को दिया गया। ईओडब्ल्यू ने नगर निगम पार्किंग लॉट्स के पूर्व कांट्रैक्टर एम/एस पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर संजय कुमार शर्मा को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पकड़ा गया आरोपी कल्याणी विहार, नई दिल्ली का रहने वाला है। वहीं मामले में सह डायरेक्टर अनिल कुमार शर्मा की तलाश जारी है। पुलिस जांच में निगम और बैंक कर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। शुरुआत में सेक्टर 17 थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था जिसकी जांच हाल ही में चंडीगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई थी।
मामले में कंपनी के दो डायरेक्टर्स के खिलाफ जांच चल रही है। कंपनी पर निगम को वर्ष 2020 में पार्किंग टैंडर लेने के दौरान 1.67 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटियां जमा करवाने का आरोप है। सेक्टर 17 थाना पुलिस ने बीते धोखाधड़ी की धारा में यह केस दर्ज किया था। जांच में सामने आए कि अब कैनरा बैंक में मर्ज्ड हो चुके सिंडिकेट बैंक की मैनेजमेंट ने फरवरी 2020 में तीनों बैंक गारंटियों को सही बताया था। यह बैंक गारंटी कुल 1 करोड़ 65 लाख 33 हजार 333 रुपए की थी। हालांकि बाद में कैनरा बैंक ने इन बैंक गारंटियों को रद्द कर दिया था, जब निगम ने इन्हें इनकैश करवाने का प्रयास किया। कंपनी द्वारा निगम को 7 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस न भरने पर निगम ने बैंक गारंटी को इनकैश करवाना चाहा था जो फर्जी निकली। और आरोपों के मुताबिक पार्किंग कांट्रैक्ट कंपनी निगम को लगभग 7 करोड़ रुपए(ब्याज सहित) की पार्किंग फीस जमा नहीं करवा पाई थी। जिसके बाद 1.67 करोड़ रुपए की तीन बैंक गारंटियां जमा करवाई, जो जाली निकली। मित्रा ने बताया कि बैंक को निगम ने कहा कि बैंक गारंटी उनके नाम ट्रांसफर की जाए। यह बैंक गारंटी लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की थी।