
चंडीगढ़ दिनभर। यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग(यूएसओएल), पंजाब विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग ने आज डिजिटल युग में शासन सुधार: बहु-विषयक परिप्रेक्ष्य विषय पर दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। सेमिनार की शुरुआत यूएसओएल की चेयरपर्सन प्रोफेसर नीरू द्वारा दिए गए स्वागत भाषण से हुई। संगोष्ठी-समन्वयक डॉ. पूर्वा मिश्रा ने कार्यक्रम का अवधारणा नोट प्रस्तुत किया। डॉ अनिल कुमार और डॉ सुच्चा सिंह ने सत्रों का संचालन किया। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के डॉ. पीके तनेजा ने अमृत काल में पीएम के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और आरटीआई अधिनियम, ई-गवर्नेंस, जीएसटी सुधार, सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रविष्टियों, मेक इन इंडिया आदि सहित डिजिटल सुधारों के मील के पत्थर को छुआ। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के लोक प्रशासन के पूर्व संकाय प्रोफेसर संजीव महाजन ने डिजिटल पर भारत: परिवर्तन और विभाजन के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया।
प्रोफेसर महाजन ने यह भी बताया कि कैसे डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग राष्ट्र के नागरिकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है और डिजिटल विभाजन के बदसूरत परिणाम हो सकते हैं। अपने अध्यक्षीय भाषण में, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बी. एस. घुम्मन ने शासन सुधारों में नए रुझानों और ग्रामीण और शहरी सहित डिजिटल विभाजन के विभिन्न आयामों पर बात की। तीन तकनीकी सत्रों में डिजिटल गवर्नेंस, सुशासन, ई-गवर्नेंस, लिंग मुद्दों, वैश्विक शासन आदि के विभिन्न उप-विषयों के सभी पहलुओं को छूते हुए 50 पेपर प्रस्तुत किए गए। उद्घाटन सत्र के समापन पर अर्थशास्त्र के समन्वयक प्रोफेसर हर्ष गांधार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। संगोष्ठी के समापन-सत्र की अध्यक्षता पंजाब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. वाई. पी वर्मा जी द्वारा की गयी। संगोष्ठी का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरण के साथ हुआ।