
चंडीगढ़ दिनभर
नॉमिनेटेड काउंसलर बनाने में नियमों की अनदेखी करने के आरोप लगाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका के मुताबिक 26 लोगों को नॉमिनेटेड काउंसलर बनाने के लिए शॉर्ट लिस्ट किया था। इनमें से 9 को चुना जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिन लोगों को चुना गया उनमें से ज्यादातर इस लिस्ट में थे ही नहीं। शॉर्ट लिस्ट जिन्हें किया था, उनमें से इक्का-दुक्का को ही नॉमिनेटेड काउंसलर बनाया।
इसके अलावा जिन लोगों को नॉमिनेटेड काउंसलर बनाया है, उनमें से ज्यादातर को नगर निगम से जुड़े कामों को करवाने की जानकारी ही नहीं है। यानी उन्हें निगम के कार्यों का कोई अनुभव नहीं है। उसके बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें नॉमिनेट कर नियमों की अनदेखी की है। समाज सेवी और एंटी करप्शन सोसायटी के प्रेसिडेंट जसपाल सिंह ने यह याचिका लगाई है। वे कई अन्य समाज कल्याण की संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से मनमर्जी चलाना शहर के विकास और कामकाज के लिए बाधा बनेगा।
इसका असर कुछ इलाकों में देखने को भी मिल रहा है जहां महीनों से विकास कार्य लटके पड़े हैं और स्थानीय नॉमिनेटेड काउंसलर्स उनपर कोई एक्शन तक नहीं ले रहे। याचिका में कहा गया है कि एक्ट के मुताबिक वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसलर्स लोगों द्वारा चुने जाते हैं। वहीं 9 नॉमिनेटेड काउंसलर्स प्रशासक द्वारा चुने जाते हैं। प्रशासनिक कामों और निगम संचालन की व्यवहारिक जानकारी रखने वाले लोगों को प्रशासक चुनता है। कहा गया है कि निगम के जनरल इलेक्शन के साथ ही नॉमिनेटेड काउंसलर्स का भी चयन हो जाना चाहिए था। याची ने कहा है कि समाज सेवी होने के साथ ही उन्हें निगम प्रशासन की भी विशेष जानकारी है।