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चंडीगढ़ दिनभर: चंडीगढ़ में मंगलवार को हुए मेयर चुनाव में भाजपा ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत हासिल की। 16 वोट के साथ भाजपा के मनोज सोनकर जीत गए ।आप और कांग्रेस गठबंधन के 20 में से 8 वोट अमान्य घोषित कर दिए गए थे। हार के बाद गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा हाईकोर्ट पहुंच गए थे और चुनाव रद्द कर दोबारा करवाने की याचिका दायर की थी। दाखिल याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फिलहाल किसी भी तत्काल राहत से इनकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मेयर पद के दावेदार कुलदीप कुमार की याचिका पर हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका पर सुनवाई आरंभ होते ही याची पक्ष की तरफ से कहा गया कि चुनाव में जिस तरह से अधिकारी ने वोटों की गिनती के समय धांधली की है उसे पूरे देश ने देखा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कुलदीप ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए हाईकोर्ट से दखल देने की अपील की। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से इस मामले में पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह की मोहलत मांगी गई। हाईकोर्ट ने प्रशासन को तीन सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई टाल दी। कुलदीप कुमार की ओर से अपील की गई कि याचिका लंबित रहते मनोज सोनकर के मेयर के तौर पर कार्य करने पर रोक लगाई जाए लेकिन हाई कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन का जवाब आने के बाद ही किसी अंतरिम राहत पर आदेश जारी किया जाएगा। प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि यह याचिका वैध ही नहीं है क्योंकि याची के पास फिलहाल अन्य विकल्प उपलब्ध है। गौरतलब है कि 30 जनवरी को चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव तय हुए थे। तय कार्यक्रम के तहत चुनाव भी हुआ, लेकिन मेयर चुनाव में कांग्रेस-आप के 20 में से 8 वोट अवैध करार दे दिए गए, जिसके चलते भाजपा के मनोज सोनकर को मेयर चुन लिया गया। कुलदीप ने आरोप लगाया कि वोटों की गिनती के दौरान पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने मतपत्रों से छेड़छाड़ की थी जिसके चलते उनके वोट अवैध करार दिए गए। कुलदीप कुमार की तरफ से सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि उनकी इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए और इस चुनाव का रिकॉर्ड सील किया जाए क्योंकि यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है। हाईकोर्ट में चंडीगढ़ के डीजीपी ने पारदर्शी चुनाव करवाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई थी बावजूद इसके चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए। बीजेपी के प्रत्याशी को जिताने के लिए आप-कांग्रेस गठबंधन के वोटों के साथ छेड़छाड़ हुई। ऐसे में हाईकोर्ट से अपील की गई कि इस धांधली भरी चुनावी प्रक्रिया को रद्द करते हुए नए सिरे से चुनाव करवाने का निर्देश दिया जाए और चुनाव हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में करवाया जाए ताकि इसकी निष्पक्षता बरकरार रहे। चुनावी प्रक्रिया के दौरान जो धांधली हुई है इसकी जांच के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एसआईटी गठित की जाए और चुनाव से जुड़ा पूरा रिकार्ड सील किया जाए।