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चंडीगढ़ दिनभर: उत्तराखंड विधानसभा में आज यूसीसी बिल पेश किया गया. इस बिल में पहली बार लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट किया किया गया है. समान नागरिक संहिता के कानून के बाद, उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या प्रवेश करने की योजना बनाने वाले जोड़ों को खुद को पंजीकृत करना होगा। समान नागरिक कानून को लागू करने बाद लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. साथ ही रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रेशन की रसीद और पंजीकरण कराने वाले युगलों की सूचना उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी

रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर छह महीने की जेल का प्रावधान है। विधेयक में प्रस्ताव है कि जो कोई भी राज्य के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, चाहे वह उत्तराखंड का निवासी हो या नहीं, उसे अपने लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण प्रशासन के समक्ष पेश करना होगा। लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण रजिस्ट्रार दफ्तर में देना अनिवार्य होगा।

यूसीसी के लागू होने के बाद आएंगे निम्नलिखित बदलाव आएंगे :

यूसीसी के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी।
लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी देनी होगी।
विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी।
पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी।
नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा।
पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।
अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।

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