चंडीगढ़ दिनभर : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड सरकार को चिट्ठी लिखकर झारखण्ड सरकार पर केंद्र की शक्तियां ‘हड़पने’ का आरोप लगाया है साथ में कहा है कि धनशोधन की जांच में उसका कोई ‘कानूनी अधिकार’ नहीं है. गौरतलब है की ईडी के इस पत्र से पहले राज्य के एक शीर्ष नौकरशाह ने ईडी जांचकर्ता को चिट्ठी लिखकर उनसे एक जांच के तहत एक आईएएस अधिकारी एवं कुछ अन्य को तलब करने के कारण पूछे थे.
ईडी ने यह पत्र झारखंड की प्रधान सचिव (कैबिनेट सचिवालय एवं सतर्कता) वंदना दालेल को बुधवार को भेजा. यह पत्र डालेल की चिट्ठी के जवाब के रूप में देखा जा रहा है जो उन्होंने ईडी के जांच अधिकारी को लिखी थी।
दालेल ने ईडी के जांच अधिकारी से एक धनशोधन मामले के बारे में सूचनाएं मांगी थी, जिसमें ईडी ने आईएएस अधिकारी एवं साहिबगंज के उपायुक्त राम निवास यादव एवं कुछ अन्य को पूछताछ के लिए बुलाया था.
ईडी ने जनवरी के प्रारंभ में अवैध खनन के सिलसिले में इन लोगों के यहां रेड की थी.
दालेल द्वारा चिट्ठी लिखे जाने से पहले झारखंड मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ऐसे कुछ दिशानिर्देशों को मंजूरी प्रदान की थी, जिनमें झारखंड के नौकरशाहों के लिए यह अनिवार्य किया गया था कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों से नोटिस और सम्मन मिलने पर वे विभागीय प्रमुखों के माध्यम से राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय एवं सतर्कता विभाग को इसकी सूचना देंगे.
यह बड़ा निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत बड़े नेताओं के खिलाफ कई धनशोधन जांच कर रही है.
ईडी के जांच अधिकारी ने प्रधान सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल की ओर से जारी आदेश और इस बारे में ईडी को भेजी गयी ‘सरकार के कानूनी अधिकार क्षेत्र के बाहर’ है.
ईडी जांच अधिकारी के इस पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि कोई उसके समन की अवज्ञा के लिए उकसाता है या उकसाने की साजिश रचता है तो ईडी उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने से भी नहीं हिचकेगी.
जांच अधिकारी ने दालेल से कहा कि समन तो ‘व्यक्तिगत रूप’ से उन्हें नहीं, बल्कि नामित व्यक्तियों को जारी किये गये हैं, ऐसे में आश्चर्य है कि वह इस मामले में ‘दखल’ क्यों दे रही हैं.