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विचारोत्तेजक और क्रांतिकारी स्पीकिंग अलाउड ने चर्चा और बहस के लिए प्रदान किया एक मंच

चंडीगढ़ दिनभर

एल्सवेर फाउंडेशन की ओर से हीरो रियल्टी के सहयोग से दो दिवसीय थिंक फेस्ट स्पीकिंग अलाउड का शुभारंभ हुआ। पहले दिन लेखक आशीष कौल एवं प्रदर्शन कलाकार व लेखक इंदर सलीम के राइटिंग कश्मीर सत्र के साथ हुई, जिसका संचालन किया इंडियन एक्सप्रेस की स्थानीय संपादक मनराज ग्रेवाल ने। सत्र में कश्मीर से अलग-अलग नेरेटिव्स को लगातार जीवंत करते रहने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
दिद्दा-द वॉरियर क्वीन ऑफ कश्मीर, रिफ्यूजी कैंप और रक्त गुलाब जैसी बैस्टसेलर किताबों के लेखक आशीष कौल ने कहा, समय की मांग है कि अब कश्मीर को नए नजरिए से देखा जाए और आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए, फिर चाहे वे भोजन और शक्ति से जुड़ी हों, या फिर समान अधिकार और शांति से। प्रदर्शन कलाकार और 25 से अधिक वर्षों से अनुभव वाले कवि, इंदर सलीम ने लॉस्ट फिऱेन नामक एक लघु नाटक का मंचन किया और विरोध प्रदर्शन में कला की भूमिका पर जोर दिया।
अगला सत्र, भारतीय साहित्य से कौन भय खाता है पर था, जिसमें खालिद जावेद (जेसीबी पुरस्कार विजेता लेखक), अरुणव सिन्हा (क्रॉसवर्ड-पुरस्कार विजेता अनुवादक), रवि सिंह (प्रकाशक, स्पीकिंग टाइगर) और निरुपमा दत्त (पुरस्कार विजेता कवि) ने भाग लिया। वक्ताओं ने इस पर चिंतन किया कि विभिन्न भाषाओं का भारतीय साहित्य अंग्रेजी में अनुवादित होने के बाद कैसे सुर्खियां बटोर रहा है और पुरस्कार जीत रहा है।
पैनलिस्टों ने इस बारे में बात की कि कैसे अनुवाद देश भर के नेरेटिव्स को केंद्र में लाता है। युवा और नए लेखकों के कार्य के प्रकार के बारे में पूछे जाने पर, रवि सिंह ने कहा, यह बहुत रोमांचक है। मैं नए लेखन का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं क्योंकि इस सामग्री में बहुत विविधता है। जब तक लोग पढ़ते हैं तब तक कोई समस्या नहीं है। खालिद जावेद ने कहा कि, उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा मानी जाती है, लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि यह भाषा लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती है। अरुणव सिन्हा ने कहा, जब यादा ट्रांसलेटर होंगे तो यादा पाठक होंगे। तीसरे सत्र पंजाब -कला से में गायक रब्बी शेरगिल और प्रशंसित कलाकार ठुकराल एवं तगरा ने समकालीन पंजाब के बारे में बात की। उन्होंने विचारों और विजन को अपनी कला के माध्यम से प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन फिल्म निर्माता एवं विद्वान दलजीत अमी ने किया। किसानों के विरोध से लेकर अमृत पाल जैसे वलंत मुद्दे इस सत्र के केंद्र में रहे।

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