चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ़। कोई भी कारोबारी अगर समय पर सभी तरह के करों की अदायगी करेगा तो वह किसी प्रकार के कानूनी विवाद में नहीं उलझेगा। सरकार द्वारा दी गई समय सीमा को आधार मानकर ही उद्योगपतियों को अपनी कर अदायगी योजनाएं बनानी चाहिए। उक्त विचार पंजाब के टैक्सेशन कमिश्नर के.के. यादव ने पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा स्थानीय पीएचडी हाउस में आयोजित जीएसटी कॉन्कलेव को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस कॉनक्लेव में पंजाब, हिमाचल व चंडीगढ़ के उद्योगपतियों के अलावा सीए प्रोफैशनलस ने भी भाग लिया। यादव ने कहा कि उद्योगपतियों द्वारा करों की अदायगी समय पर किए जाने से कई तरह की समस्याओं का समाधान होता है।

जीएसटी नियमों का केंद्र द्वारा लगातार सरलीकरण किया जा रहा है। पीएचडीसीसीआई टैक्सेशन कमेटी के चेयर बिमल जैन ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य उद्योगपतियों को ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां बैठकर वह अपनी जीएसटी के संबंध में अपनी समस्याओं,शंकाओं का समाधान मौके पर कर सकें। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजीएसटी कमिश्नरेट लुधियाना के सहायक कमीश्नर डॉ.बलजीत सिंह व पंजाब के स्टेट टैक्स (ऑडिट) अतिरिक्त आयुक्त रवनीत खुराना ने कहा कि आमतौर पर यह देखने में आया है कि उद्योगपति अपनी किताबें तथा अन्य रिकार्ड को पूरा रखते हैं लेकिन कर जमा करवाने में समय लगाते हैं।

यह परंपरा बदलनी होगी। कार्यक्रम में पहुंची हिमाचल प्रदेश की स्टेट टैक्स एवं एक्साइज विभाग में सहायक आयुक्त पूनम ठाकुर ने कहा कि समय पर जीएसटी व अन्य करों की राशि जमा नहीं होने से जीएसटी की रिफंड अदायगी में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हर तरह के करों की अदायगी करने तथा उन्हें जमा करवाने के लिए बकायदा समय सीमा तय की जाती है। इस समय सीमा के मायनों को समझकर उसी दायरे में काम करना चाहिए। उद्योगपतियों अथवा कारोबारियों द्वारा समय पर करों की राशि जमा नहीं करवाने से आगे चलकर कई तरह की दिक्कतें पैदा होती है। इस अवसर पर पीएचडी चैंबर ऑफ कार्मस एंड इंडस्ट्री पंजाब के चेयर आर.एस. सचदेवा, को-चेयर करण गिल्होत्रा समेत कई गणमान्य मौजूद थे।