
करनाल। नशे की कमर तोडऩे के लिए जिला प्रशासन एक नेशनल प्लान पर काम करने जा रहा है। इसके तहत जिला में नशे की गैर कानूनी दवाईयों की मांग और आपूर्ति पर शिकंजा कसा जाएगा।
एनकोर्ड (नेशनल कोर्डिनेशन सेंटर) की मीटिंग की अध्यक्षता करते अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने यह जानकारी दी। एडीसी ने बताया कि नशा मुक्त भारत अभियान के तहत देश के 272 जिले चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से करनाल भी एक है। वर्ष 2018 में एम्स के माध्यम से सर्वाधिक नशा करने वाले व्यक्तियों के जिलों का एक सर्वे करवाया गया था, जिसमें यह पाया गया कि देश में जिस कदर अपराधों की संख्या बढ़ रही है, उनमें एक बड़ा कारण नशे का है। इसके बाद बीते वर्ष इस प्लान को लागू करने की तैयारियां शुरू हो गई। हरियाणा के सोनीपत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है और अब करनाल इसे क्रियान्वित करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से इसके लिए 200 करोड़ रूपये की राशि निर्धारित की गई है, प्लान पर काम करने के लिए जिला को 75 लाख रूपये की राशि मिलेगी।
उन्होंने बताया कि जिला रेडक्रॉस सोसाईटी और नागरिक अस्पताल में संचालित नशा मुक्ति केन्द्र, आवेदन का ड्राफ्ट तैयार करेंगे और फिर जिला स्तरीय कमेटी की अनुशंसा के बाद इसे केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। नशा मुक्ति एवं परामर्श केन्द्र नशे से ग्रस्त व्यक्तियों का करेंगे तैयार डाटा- मीटिंग में अतिरिक्त उपायुक्त ने सिविल अस्पताल में नशा मुक्ति केन्द्र के प्रभारी डॉ. मनन गुप्ता को निर्देश दिए कि नशे से ग्रस्त कितने व्यक्तियों ने नशा मुक्ति केन्द्र में आकर रजिस्ट्रेशन करवाया। कितने लोग नशा छोड़ गए और कितनो का पुनर्वास हुआ, इसका एक व्यापक डाटा तैयार करें। डाटा में जिला और उपमण्डल स्तर पर चलाए जा रहे नशा मुक्ति केन्द्रों में आए रोगियों की संख्या भी होनी चाहिए। कलसौरा के बाद अब गोंदर गांव होगा नशा मुक्त- डॉ. मनन गुप्ता ने बताया कि नशा मुक्त भारत अभियान के तहत कलसौरा गांव को नशा मुक्त करने के बाद अब जिला के गांव गोंदर को अपनाया गया है। गत दिनो गांव में नशे से ग्रस्त व्यक्तियों का पता लगाने के लिए टीम करीब 35 घरों में गई।
अधिकांश लोगों ने नशा मुक्ति केन्द्र को लेकर अज्ञात भय के कारण पूरी जानकारी नहीं दी। उन्हें काउंसलिंग कर बताया गया कि नशा मुक्ति केन्द्र में ऐसे व्यक्तियों का नि:शुल्क ईलाज किया जाता है, डर की कोई बात नहीं है, न ही किसी के साथ कोई ज्यादतती की जाती है। उन्होंने कहा कि मदद लेना घबराने की बात नहीं, शक्ति का प्रतीक है। नशा मुक्ति केन्द्र के जरिए नशे को तौबा कर स्वयं व अपने परिवार पर लगे नशे के कलंक को धोया जा सकता है। केन्द्र में ईलाज व काउंसलिंग के साथ-साथ योगा भी करवाया जाता है। बीते 2 वर्षो में 2600 रोगियों को नशा मुक्ति केन्द्र में दाखिल किया गया। इनमें से आधे से ज्यादा व्यक्ति नशा छोड़ गए। नशा छोडऩे वाले कई व्यक्तियों को जिला प्रशासन के सहयोग से विभिन्न संस्थानों में रोजगार से जोडक़र उनका पुनर्वास किया गया। नशे की दवाईयां वितरित करने वालों पर कसा शिकंजा- जिला में प्रतिबंधित दवाईयों की मांग और सप्लाई को रोकने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के जोनल वरिष्ठï औषधि नियंत्रक गुरचरन सिंह ने एडीसी को बताया कि बीते माह अप्रैल में 35 दवा विक्रेता दुकानो के रिकॉर्ड का निरीक्षण किया गया।