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चंडीगढ़ दिनभर: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जेल में 63 कैदी एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। इसका खुलासा कैदियों के मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद हुआ। जेल अधिकारियों ने बताया कि संक्रमित कैदियों का नशीली दवाओं की लत का इतिहास रहा है। जेल प्रशासन ने दावा किया कि परिसर के बाहर दूषित सीरिंज के इस्तेमाल से कैदी एचआईवी संक्रमित हुए। अधिकारियों ने ये भी दावा किया कि जेल के अंदर रहने के दौरान कोई भी कैदी इस वायरस की चपेट में नहीं आया। अधिकारियों ने कहा की पिछले पांच वर्षों में किसी भी संक्रमित कैदी की मौत नहीं हुई है।
डीजी-जेल एस एन साबत ने बताया, “पिछले पांच वर्षों में जिला जेल लखनऊ में एचआईवी संक्रमण के कारण किसी भी कैदी की मौत नहीं हुई है। हम उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में समय-समय पर एचआईवी संक्रमित लोगों की जांच कराते हैं। लखनऊ जेल में भर्ती होने के बाद एक भी व्यक्ति एचआईवी संक्रमित नहीं हुआ है। वे पहले से ही संक्रमित थे। अधिकांश प्रभावित कैदी नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण संक्रमित हुए थे।”

ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) संक्रमित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। अगर रोगी का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह वायरस गंभीर बीमारी एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसे एड्स भी कहा जाता है।

एचआईवी संक्रमण का सबसे गंभीर चरण एड्स है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एचआईवी, संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ से फैलता है, जिसमें रक्त, स्तन का दूध, वीर्य और योनि तरल पदार्थ शामिल हैं। यह चुंबन, आलिंगन या भोजन साझा करने से नहीं फैलता है। यह मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है।

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