डॉ. तरूण प्रसाद 2023 05 25T120904.788

चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के नेबरहुड पार्क सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से कम नहीं हैं। इसीलिए मौजूदा पार्षदों और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्ल्यूए) में जंग छिड़ी हुई है। पार्षदों का आरोप है कि ये एसोसिएशंस पार्कों की मेंटेनेंस ठीक ढंग से नहीं कर रही। इसी वजह से पार्कों की हालत बदतर है। आरोप तो ये लग रहे हैं कि आरडब्ल्यूए ने निगम से पार्क लेकर आगे ठेके पर दे दिए हैं। ऐसा कर वो पार्क तो नहीं, लेकिन अपना अकाउंट जरूर मेंटेन कर रही हैं। वहीं आरडब्ल्यूए का कहना है कि पार्षद अपने चहेतों को मेंटेनेंस का काम देना चाहते हैं इसलिए आरोप लगाते रहते हैं।

प्रथम दृष्टया ऐसा लगेगा ये लड़ाई पब्लिक वेलफेयर की है लेकिन हकीकत ये है कि वेलफेयर के नाम पर नगर निगम से इन एसोसिएशंस को जो लाखों रुपए मिलते हैं, असल में लड़ाई उसकी है। ऐसा बरसों से चला आ रहा है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस लूट को रोकने की किसी ने कोशिश नहीं की। नगर निगम के अधिकारी भी आंखें बंद कर पैसे जारी करते रहे। हो सकता है इस भ्रष्टाचार में इनकी भी संलिप्तता सामने आए। इसकी जांच कराना बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि शहर में स्थित 91 रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस को नगर निगम ने 818 पार्कों के मेंटेनेंस का काम सौंपा हुआ है।

आरडब्ल्यूए को राजनीतिक संरक्षण
पार्कों का मेंटेनेंस देख रहीं आरडब्ल्यूए किसी न किसी पार्टी से जुड़ी हुई हैं। काम से लेकर पैसा लेने तक इसी रसूख का इस्तेमाल किया जाता है। ये आरडब्ल्यूए पार्टी का बड़ा वोट बैंक होती हैं इसलिए इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। ये काम करें या न करें, कोई इन आरडब्ल्यूए के खिलाफ आवाज नहीं उठाता। इसलिए बिना काम और बिना ऑडिट के ही पैसा जारी कर दिया जाता है। जबकि एसोसिएशंस के किए काम का व खर्चों का ऑडिट होना चाहिए। उसके बाद ही पैसा जारी करना चाहिए।

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मेंटेनेंस का काम किया सब-लेट : छाबड़ा
आरडब्ल्यूए ने नगर निगम से पार्कों के मेंटेनेंस का काम लेकर आगे सब-लेट (ठेके पर) कर दिया है। आम आदम पार्टी के सहप्रभारी प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि एसोसिएशंस ने इस काम को बिजनेस बना दिया है। मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए हर महीने हजम किए जा रहे हैं। नगर निगम को तय करना चाहिए कि किस एसोसिएशन को कितने पार्क दिए जाएंगे। कई एसोसिएशन ऐसी हैं जिनके पास 40-50 पार्कों का काम है। यहां सिर्फ बिजनेस किया जा रहा है। हॉर्टिक्लचर विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है तो वो कॉन्ट्रेक्ट कर्मी रखकर भी काम करवा सकता है।

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