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मोदी सरकार की तानाशाही के खिलाफ दिल्ली की जनता का रामलीला मैदान में शक्ति प्रदर्शन

चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ़/नई दिल्ली। मोदी सरकार की तानाशाही के खिलाफ रविवार को दिल्ली की जनता ने रामलीला मैदान में एक लाख से ज्यादा की संख्या में एकत्र होकर शक्ति प्रदर्शन किया। दिल्ली को लेकर भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा पारित असंवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ पूरी दिल्ली एकजुट दिखी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन करने पर कड़ी नाराजगी जताई। काफी वर्षों बाद किसी राजनीतिक महारैली में रामलीला मैदान में इतनी भारी भीड़ एकत्र हुई।

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दिल्लीवालों से खचाखच भरे रामलीला मैदान में हर एक की आंखों में मोदी सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर छीने गए उनके संवैधानिक अधिकारों को वापस पाने की ललक दिखी। जनता मोदी सरकार से बेहद नाराज़ दिखी। दोपहर करीब 12 बजे सीएम अरविंद केजरीवाल मंच पर पहुंचे तो लोगों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ उन्हें भरोसा दिया कि देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने की इस लड़ाई में पूरी दिल्ली उनके साथ है।

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने आठ वर्षों तक कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली के लोगों की तरफ से लड़ाई लड़ी। आज से ठीक एक महीने पहले 11 मई को देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दिल्ली के लोगों के हक में आदेश पारित किया। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आठवें दिन 19 मई को देश के प्रधानमंत्री ने खारिज कर दिया।

भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार एक ऐसा प्रधानमंत्री आया है, जो कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता। इस बात से पूरे देश के लोग स्तब्ध हैं। देश के लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि प्रधानमंत्री इतने अहंकारी हैं। देश की हर गली-हर घर में चर्चा हो रही हैं कि मोदी जी को ये क्या हो गया है? जब देश का प्रधानमंत्री कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता, इसी को तानाशाही और हिटलरशाही कह जाता हैं और इसे ही जनतंत्र को खत्म होना भी कहते हैं।