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याचिका दाखिल करते हुए मोहाली निवासी एडवोकेट कुंवर पाहुल सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि 24 मार्च, 2024 को अपने जन्मदिन पर केक खाने के बाद 10 साल की बच्ची मानवी की मौत हो गई थी। बीते कुछ समय में मिलावट का खेल बहुत अधिक बढ़ गया है, लेकिन इसे रोकने के लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है। 2013 में सुप्रीमकोर्ट ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि मिलावट को रोकने के लिए मंडियों का लगातार निरीक्षण किया जाए और मिलावट के धंधे पर लगाम लगाई जाए।

2016 में एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य को आदेश दिया था कि डेयरी व अन्य प्रकार के कार्य करने वालों को चेतावनी दी जाए और बताया जाए कि ऐसा साबित होने पर उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी। इसके बावजूद मिलावट का धंधा रुक नहीं रहा है। 24 मार्च को पटियाला निवासी मानवी भी ऐसी ही एक मिलावट का शिकार हुई थी। इस मामले में सिविल सर्जन जांच का आदेश दे चुके हैं और बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने बच्ची के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की थी और जांच का आदेश दिया था।

याची ने कहा कि बिना मजबूत तंत्र विकसित किए मिलावट के इस कारोबार पर रोक नहीं लगाई जा सकती। नियमों का सख्ती से पालन करना सुनिश्चित करने के लिए औचक निरीक्षण होते रहने चाहिए। ऐसे में जनहित याचिका में राज्य व केंद्र सरकार को इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी मांगपत्र दाखिल किए हुए कुछ दिन भी नहीं हुए हैं और पंजाब पुलिस मामले की जांच कर रही है। ऐसे में अभी यह याचिका प्रीमैच्योर है और ऐसे में इसे खारिज कर दिया।

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