
गजब का जुगाड़ : रोड डिविजन में ठेके पर काम करने वाले या माली के हवाले छोड़ रखे हैं कम्युनिटी सेंटर्स
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़। नगर निगम में आखिर ये चल क्या रहा है और न जाने कब से ऐसा ही चल रहा है। जहां हाथ डालो, वहीं अव्यवस्था उजागर हो जाती है। पार्किंग हो या पार्क, सड़कों पर अवैध कब्जे हों या कुछ और… इन्हें व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। अब बात करते हैं शहर में बने कम्युनिटी सेंटर्स की। शहर में 55 कम्युनिटी सेंटर हैं, लेकिन उनकी देखभाल करने के लिए चौकीदार एक भी नहीं। जानकारी के अनुसार 5 सुपरवाइजर रखे गए थे। उनमें से भी चार रिटायर हो चुके हैं। आजकल एक ही सुपरवाइजर है, जो कुछ कम्युनिटी सेंटर्स की देखरेख कर रहे हैं। आपको हैरानी होगी कि जो लोग कम्युनिटी सेंटर्स में रह रहे हैं वो निगम के कर्मचारी हैं ही नहीं।
ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो नगर निगम में रोड बनाने वाले ठेकेदार की लेबर का काम करते हैं। मिलीभगत से उन्हें यहां रख दिया जाता है। मुफ्त में कम्युनिटी सेंटर की देखभाल भी हो जाती है और लेबर को रहने का ठिकाना भी मिल जाता है। सवाल ये उठता है कि अगर इन कम्युनिटी सेंटर्स में कुछ भी गलत होता है तो क्या यहां रहने वाले लोगों की जिम्मेदारी तय की जाएगी? अगर नहीं तो फिर इन्हें क्यों ठहरने की परमिशन दी गई है क्योंकि इन सेंटर्स में काफी महंगा सामान लगा हुआ है। एयर कंडीशन, एलईडी व अन्य चीजें। अगर कुछ भी चोरी होता है या डैमेज होता है तो कौन जिम्मेदार होगा? आखिर क्यों हर काम में निगम लापरवाही सामने आ जाती है?
हाउस मीङ्क्षटग में उठ चुका है मुद्दा
नगर निगम की हाउस मीङ्क्षटग में करीब डेढ़ साल पहले यह मुद्दा उठ चुका है। मीटिंग में एक प्रस्ताव आया था कि सभी कम्युनिटी सेंटर्स में चौकीदार या केयर टेकर नियुक्त किया जाए। इस प्रस्ताव को रखने पर पार्षदों का तर्क था कि इन सेंटर्स में मंहगे एसी व एलईडी लगे होते हैं। शादी समारोह जैसे कार्यक्रमों में चोरी होने का भी डर रहता है। इसलिए कम्युनिटी सेंटर्स में केयर टेकर व चौकीदार नियुक्त करना चाहिए।