डॉ. तरूण प्रसाद 2023 04 05T104556.802

जनता से वास्तविक स्थिति छिपाने के लिए लोन और बजट के भ्रामक आंकड़े पेश करती है प्रदेश सरकार

चंडीगढ़ दिनभर

बजट और कर्ज को लेकर सरकार जानबूझकर गोलमोल और भ्रामक आंकड़े पेश कर रही है ताकि जनता को असली स्थिति का पता ना चल पाए। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा ने पत्रकार वार्ता में आंकड़ों के जरिए सरकार के दावों को चुनौती दी। खुद सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में बड़ा विरोधाभास देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर 2020-21 में सरकार ने 1,55,645 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट पेश किया। बाद में इसे संशोधित करके 1,53,384 करोड़ कर दिया गया। वास्तविक बजट को और घटकर 1,35,909 करोड़ कर दिया गया। इसी तरह 2022-23 में अनुमानित बजट 1,77,235 करोड़ था, जो संशोधित होकर 1,64,807 करोड़ रह गया। लोन की बात की जाए तो 2020-21 में सरकार ने बताया कि प्रदेश पर 2,27,697 करोड़ रुपये का कर्ज है। जबकि सीएजी रिपोर्ट में 2,79,967 करोड़ कर्ज बताया गया और आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,62,331 करोड़ था। इसी तरह 2022-23 में सरकार ने प्रदेशभर 2,43,701 करोड़ रुपए का कर्ज दिखाया जबकि आरबीआई के मुताबिक यह कर्ज 2,87,266 करोड़ था। यानी कि सरकारी आंकड़ों में ही 44,513 करोड़ का अंतर देखने को मिला। इसी तरह जब सीएजी की रिपोर्ट आएगी तो उसमें और अंतर देखने को मिल सकता है। मुख्यमंत्री विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर लोन के भिन्न-भिन्न आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हैं। जबकि सरकार जानबूझकर खुद भिन्न-भिन्न आंकड़ों के फेर में उलझी हुई नजर आती है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज भी अपनी बात पर कायम हैं। प्रदेश पर आंतरिक कर्ज और तमाम दिनदारियां मिलाकर 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा है। क्योंकि सरकार ने खुद 2023-24 के बजट में बताया कि प्रदेश पर 2,85,885 करोड़ का कर्ज है। सीएजी की रिपोर्ट में 36,809 करोड़ रुपए (पब्लिक अकाउंड डिपोजिट, स्माल सेविंग्स, मार्च 2022 तक) बताई गई जोकि हर साल 3000 से 4000 करोड बढ़ जाती है। इसलिए जो बढ़कर 31 मार्च 2024 तक करीब 44,000 करोड़ हो जाएगी। इसी तरह हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों को 40,193 करोड़ रुपए डिस्कॉम्स को बिजली बिल और अनपेड सब्सिडी का देना है। यह देश में तमाम राज्यों से ज्यादा देनदारी है। स्टेट पब्लिक एंटरप्राइजेज पर 47,211 करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी हरियाणा पर तमाम तरह की देनदारियों को मिलाकर कुल 4,23,229 करोड़ रुपए लोन बनता है। इसलिए कांग्रेस बार-बार सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रही है। इसमें 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कुल आंतरिक कर्ज, पब्लिक अकाउंट डिपॉजिट (स्मॉल सेविंग्स), पब्लिक एंटरप्राइजेज द्वारा लिया गया कर्ज, एडिशनल लायबिलिटीज (सरकार द्वारा सभी सर्विस प्रोवाइडर्स और सप्लायर्स को देय) का जिक्र हो। प्रदेश पर कर्ज के आंकड़े इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 2014-15 से लेकर 2022-23 तक राज्य पर कर्ज का बोझ 4 गुना तक बढ़ गया है। जबकि इस दौरान एसजीडीपी में सिर्फ 2.1 गुना की ही बढ़ोतरी हुई है। यानी लोन की विकास दर प्रदेश की आर्थिक विकास दर से कहीं ज्यादा है।

प्रदेश का राजकोषीय घाटा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। 2013-14 में यह एसजीडीपी का 2.07 फीसदी था जो 2022-23 में बढ़कर 3.29 फीसदी हो गया। वास्तविक खर्च में यह बढ़कर 3.35त्न तक हो सकता है। इसी तरह कर्ज और जीएसडीपी का अनुपात भी चिंताजनक है। 2013-14 में जो 15.1त्न था, वह 2022-23 तक बढ़कर 25.78त्न हो गया। अगर संशोधित राज्य कर्ज, पब्लिक अकाउंट डिपॉजिट(स्माल सेविंग्स) और स्टेट गारंटीड लोन भी जोड़ दिया जाए तो यह बढ़कर 32.47त्न हो जाता है। खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सरकार के पास दैनिक खर्च चलाने लायक भी बजट नहीं है। क्योंकि 2023-24 के बजट से पता चलता है कि सरकार के पास कुल 1,09,122 करोड़ रुपए कि आय है। जबकि खर्च ?1,26,071 करोड़ रुपये है। यानी 16,949 करोड़ रुपए का रिवेन्यू डिफिसिट है। आंतरिक कर्ज के भुगतान पर होने वाला खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है। 2023-24 में सरकार द्वारा 64,840 करोड़ रुपए का लेना अनुमानित है।

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