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नयी दिल्ली : रिहाई प्रक्रिया में अतिरिक्त समय लगने के कारण मोनिंदर पंढेर को आज काफी देर बाद रिहा किया गया.
जेल से बाहर आते हुए उसको कुर्ता-पजामा में देखा गया. मोनिंदर अपने एक परिजन के साथ था, जिसने उसका सामन वाला थैला हाथ में ले रखा था. मोनिंदर के साथ उसके तीन वकील भी मौजूद थे.

निठारी कांड में प्रमुख आरोपी रहे D-5 कोठी के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को लम्बी जद्दोजेहद के बाद आखिरकार हाईकोर्ट के फैसले के बाद आज रिहा कर दिया गया है. इस कांड में मोनिंदर के साथ उसके नौकर को भी आरोपी बनाया गया था. लेकिन अब परवाना आने पर सारे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद मनिंदर को गौतम बुद्ध जिला कारागार से रिहा कर दिया गया है.यह आज तड़के ही साफ हो गया था कि आज पंढेर को शुक्रवार को रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि, रिहाई प्रक्रिया में ज्यादा समय लगने के कारण पंढेर को तय समय से काफी देर बाद जेल से रिहा किया गया. मीडिया द्वारा पूछे जाने पर पंढेर ने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. उसकी जगह उसने गाड़ी में बैठकर अपने हाथ जोड़ लिए. इसके बाद पंधेर अपने वकीलों के साथ गाड़ी में बैठकर रवाना हो गया. सूत्रों के मुताबिक वो दादरी से एक्सप्रेसवे होते हुए चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गया है.
गौरतलब है कि दिसंबर 2006 में इस पूरे मामले का खुलासा हुआ था. तब D-5 कोठी देश का सबसे चर्चित मकान बन गया था. तकरीबन डेढ़ दर्जन बच्चों और युवतियों के अवशेष और खून से लथपथ कपड़े व अन्य सामान इस कोठी से बरामद हुआ था. इस मामले में सुरेंद्र कोली को 13 और पंढेर को दो मुकदमों में फांसी की सजा सुनाई गई थी.

निठारी कांड में कुल 19 मुकद्दमे दर्ज हुए थे. इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दी थी. बाकि बचे 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ गया था, जिसमे 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत और तीन में बरी किया गया था.

पंढेर को दो मुकदमों में फांसी, और एक मुकदमे में सात साल की सजा सुनाई गई थी. साथ ही बचे हुए 4 मुकदमों में पंधेर को बरी कर दिया गया था. फांसी की सजा के खिलाफ दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की. इसका फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति एस. एच. ए. रिजवी की खंडपीठ ने सितंबर महीने में सुनवाई करते हुए सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाया गया, जिसके बाद मोनिंदर को आखिरकार रिहा कर दिया गया है.

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