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चंडीगढ़ दिनभर: किसानों ने फिर से सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है. पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों से किसान दिल्ली कूच करने की तैयारी कर चुके हैं. आखिर क्या ऐसी मांगें हैं जिनको लेकर बार बार किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है

इस बार आंदोलन को किसानों ने ‘चलो दिल्ली मार्च’ का नाम दिया है, इसे किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है. दरअसल, इस किसान आंदोलन की शैली 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन से मिलती जुलती ही है. पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने वाले हैं.

कहा जा रहा है पिछली बार की तरह किसान अपने साथ ट्रैक्टर-ट्राली और राशन भी लेकर आने की तैयारी में हैं. यानी इस बार भी किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है. फर्क इतना है कि, इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है. यह किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है. इसे अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं. किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ बहुत बार वार्ता कर चुके हैं, लेकिन सहमति ना बन पाने पर किसान फिर से आंदोलन कि तैयारी कर चुके हैं

जानिये किन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं किसान

किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है.

किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.

आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं.

किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं

भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए.

कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए.

किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना.

भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए.

कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.

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