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‘भारत’, नाम बदलने की सिफारिश पर क्या हुआ फैसला ?

चंडीगढ़ दिनभर
एनसीईआरटी की ओर से एक समिति ने सरकार से किताबों की छपाई फिर से करने की सिफारिश की थी, जिसमे ‘INDIA’ का नाम बदलकर ‘Bharat’ रखा जाए।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की किताबों में जल्द ही एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। एनसीईआरटी द्वारा गठित समिति ने किताबों में ‘INDIA’ को बदलकर ‘Bharat’ करने की प्रस्ताव रखा गया था। इस पैनल द्वारा पुस्तकों के अगले सेट में इंडिया के बजाय ‘भारत’ प्रिंट करने के प्रस्ताव को सदस्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लेने पर किताबों में बदलाव देखने को मिल सकेगा।
समिति सदस्यों में अध्यक्ष , सीआई इस्साक (CI Issac) ने बताया, यह प्रस्ताव कुछ महीने दिया गया था। जिसके तहत पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” का नाम बदलकर “भारत” रखने, इसके अलावा, पाठ्यक्रम में “प्राचीन इतिहास” के बजाय “शास्त्रीय इतिहास” को शामिल करने और भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है।
अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो एनसीईआरटी की नई किताबों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखा जाएगा। हालांकि, एनसीईआरटी के अधिकारियों ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी कोई निर्णय नहीं आया है।

समिति के अन्य सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर वंदना मिश्रा, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा के एक सरकारी स्कूल में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष सी आई इस्साक ने कहा कि एनसीईआरटी समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge System) को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।

इसके अनुसार एनसीईआरटी की किताबों का एक नया दस्ता जारी किया जाएगा। नई किताबों में विद्यार्थी इंडिया नहीं, बल्कि भारत पढ़ेंगें।

‘भारत’ बनाम ‘इंडिया’ पर चर्चा की शुरुआत तब हुई थी जब केंद्र ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित जी20 रात्रिभोज के निमंत्रण को “President of India” के बजाय “President of Bharat” के नाम से भेज दिया, इसके बाद से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था।

सितंबर में, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जी20 लीडर्स शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, तब उनकी नेमप्लेट पर भी ‘भारत’ नाम ही प्रदर्शित किया गया था।

संविधान के अनुच्छेद 1 (1) में भी देश का नाम “इंडिया, अर्थात भारत राज्यों का संघ होगा” परिभाषित किया गया है।

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