
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़। इडिंयन काउंसिल फॉर चाईल्ड वैल्फेयर इम्प्लाइयज यूनियन तथा फैडऱेशन ऑफ यूटी इम्पलाईज एंड वर्कज चंडीगढ़ के अलग-अलग सैक्टरों व कॉलोनियों तथा गांवों में चल रहे आंगनवाडी सैटरों को बंद कर इङ्क्षडयन कांउसिंल फॉर चाईल्ड वैल्फेयर यूटी चंडीगढ़ के अधीन चल रहे नजदीकी क्रैचों में मर्ज करने का कड़ा विरोध किया है।
यूनियन की प्रधान रेखा शर्मा महासचिव बिहारी लाल, सुनीता शर्मा, रेखा गोरा, लखविंदर कौर आदि पदाधिकारियों तथा फैडऱेशन ऑफ यूटी इंपलाईज एंड वर्करज के प्रधान रघबीर चन्द, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र कटोच तथा महासचिव गोपाल दत्त जोशी व अन्य पदाधिकारियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के इस एक तरफा व मनमर्जी के फैंसले का विरोध करते हुए कहा कि प्रशासन का यह फैसला गलत है। क्योंकि आंगनबाड़ी व क्रैचों की कार्य प्रणाली व मकसद तथा महत्व अलग अलग हैं तथा कामकाज व नेचर ऑफ डयूटी भी भिन्न है।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं तथा तथा क्रैच में काम कर रही बालसेविकाओं की योग्यताओं तथा डयूटीज भी अलग अलग हैं। आंगनबाडी सैंटर सरकार द्वारा समाज कल्याण विभाग के मार्फत सरकार की स्कीमों के तहत चलते हैं तथा गरीब बच्चों को सूखा व तैयार राशन व खाना दिया जाता है जबकि इङ्क्षडयन काउङ्क्षसल एक स्वतन्त्र रजिस्ट्रड संस्था है जिसका अपना संविधान व आय के साधन व स्त्रोत है। माह से 12 साल तक के बच्चे सुबह 8:30 बजे आते हैं तथा शाम को कार्यालय बन्द होने के बाद उनके माता पिता लेकर जाते हैं। इसी हिसाब से रिडिंग रूप, चेन्ज रूम आदि का इन्तजाम है तथा सभी कर्मचारी फुल टाईम वेतन लेने वाले व योग्यता रखने वाला स्टाफ है।
प्रशासन पत्र में केन्द्र सरकार के फैसले का उल्लेख तो करता है लेकिन दोनों के अन्तर को समझने के बजाय पैरेन्टस व केन्द्र सरकार को अंधेरे में रख रहा है। प्रशासन के फैसले से काउंसिल का क्रैच सिस्टम ही खतरे में पड़ जाएगा। यूनियन व फैडऱेशन ने सचिव, समाज कल्याण व काउङ्क्षसल की उप प्रधान नीतिका पवार को पत्र लिख कर समय मांगा है।