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चंडीगढ़ दिनभर : प्रवर्तन निदेशालय ने आज फिर से बड़ा कदम उठाते हुए उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत सहित कई अन्य आरोपियों के खिलाफ आज सुबह करीब साढ़े पांच एक बड़ी सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को शुरू कर दिया है. इस छापेमारी में राजधानी दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पंचकूला सहित कुल 16 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई शुरू हो गयी है. यह मामला उत्तराखंड वन विभाग घोटाले से जुड़ा है.जब हरक सिंह रावत उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री थे,  तब 2019 में बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहें त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने साल 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. साल 2019-20 में पाखरो में करीब 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य भी शुरू कर दिया गया था. इसी प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान करीब 163 पेड़ काटे गए. यह बात उत्तराखंड सरकार द्वारा बतायी गयी थी, लेकिन जांच में पता चला की उस दौरान उससे कहीं ज्यादा संख्या में पेड़ काटे गए.
मामला बढ़ कर नैनीताल हाईकोर्ट में गया और अक्टूबर 2021 में कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान में लिया. उसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई  ने पिछले साल इस मामले में एफआईआर दर्ज की, उसके बाद जांच को ईडी ने टेकओवर करके मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस मामले की तफ्तीश शुरू कर दी. तफ्तीश में सीबीआई को पता चला की 163 पेड़ों की कटाई के स्थान पर करीब 6,903 पेड़ों को काटा गया.
उत्तराखंड वन घोटाला मामले की शुरुआती तफ्तीश के दौरान उत्तराखंड वन विभाग ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया यानी एफएसआई से इस मामले में जांच करवाई थी. जांच के दौरान रिपोर्ट बहुत चौंकाने वाली थी. प्रोजेक्ट के लिए कानूनी तरीके से 163 पेड़ों की कटाई का निर्देश था. लेकिन अवैध तरीके से करीब 6,903 पेड़ों की कटाई कर दी गई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने उस पूरे इलाके पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक इलाके का सैटेलाइट इमेज के मार्फत और फिल्ड निरीक्षण से तमाम मामलों की जानकारी और सबूतों को इकट्ठा किया गया.

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