डॉ. तरूण प्रसाद 2023 05 30T163331.982

सेक्टर-39 के जंगल में मरे हुए पशुओं की चमड़ी उतारते हैं और खुले में फेंक देते हैं ठेकेदार के कारिंदे

चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ़ सेक्टर-39 की मंडी से सटे जंगल में अवैध स्लॉटर हाउस चल रहा है। स्लॉटर हाउस इसलिए कहना उचित है क्योंकि यहां मरे हुए पशुओं के साथ क्रूरता की जाती है। धारदार हथियारों से उनकी चमड़ी उतारी जाती है और उन्हें दबाने के बजाय खुले में ही फेंक दिया जाता है। ये काम किया जा रहा है ठेकेदार के बंदों द्वारा जिसे चंडीगढ़ प्रशासन ने मरे हुए पशुओं को उठाने और उन्हें दफनाने का ठेका दिया हुआ है। मलोया और आसपास के लोगों के अनुसार खुले में पशु फेंकने से बहुत बदबू आती है।
इस वजह से यहां से गुजरना भी दूभर है। ऐसा नहीं है कि इस बारे में चंडीगढ़ प्रशासन को जानकारी नहीं है। मलोया की पार्षद निर्मला देवी हाउस मीटिंग में कई बार इस मुद्दे को उठा चुकी हैं लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही। प्रशासन को इस संबंध में जल्द कार्रवाई कर लोगों को राहत दिलवानी चाहिए और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

रात को गाड़ी आती है, सुबह चमड़ी उतारते हैं…
जानकारी के अनुसार हल्का अंधेरा होते ही एक गाड़ी मरे हुए पशुओं केा लेकर जंगल में जाती और उन्हें खुले में फेंककर वापस चली जाती है। अगली सुबह ठेकेदार के बंदे वहां धारदार हथियारों के साथ पहुंचते हैं और मरे हुए पशुओं की चमड़ी उतारने के काम में लग जाते हैं। उसके बाद पशुओं को वहीं खुले में छोड़ जाते हैं, जबकि पशुओं को दबाने का जि मा इन्हीं कर्मियों का होता है।

65 हजार रुपए महीना है ठेका
चंडीगढ़ प्रशासन ने मरे हुए पशुओं को उठाने और दफनाने का ठेका 65 हजार रुपए महीना जसबीर सिंह को दिया हुआ है। इसके बावजूद वे अपना काम ठीक ढंग से नहीं करवा रहे। उनके कारिंदे पशुओं का खुले में ही छोड़ देते हैं। ऐसा पिछले कई महीनों से किया जाता रहा है क्योंकि कंकाल यहां-वहां पड़े हुए हैं।
हाउस मीङ्क्षटग में कई बार उठाया मुद्दा
मलोया की पार्षद निर्मला देवी ने कहा कि उन्होंने संबधित अफसर को कार्रवाई के लिए बोला था। मलोया थाना के पूर्व एसएचओ सतनाम सिंह को भी कई बार कहा लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि ठेकेदार को सिर्फ मरे हुए पशुओं को उठाने और दबाने का ठेका दिया जाता है लेकिन खुले में फेंकना गलत बात है। इसकी बदबू आसपास के एरिया में फैलती जा रही है। जब तक कार्रवई नहीं होती वह चैन से नहीं बैठेगी।

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