एमसीएम

चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ़ । खाद्य विज्ञान विभाग, मेहर चंद महाजन डीएवी महिला महाविद्यालय, चंडीगढ़ ने माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी, इंडिया (एमबीएसआई) के सहयोग से और एमसीएम विज्ञान मंच के तत्वावधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा प्रायोजित इम्यूनोलॉजिकल डायग्नोस्टिक तकनीक विषय पर 5 दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला की शुरुआत प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव के प्रेरक शब्दों से हुई, जिन्होंने कौशल विकसित करने की पहल के रूप में इस तरह की व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशालाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कौशल विकास इस प्रतिस्पर्धी युग में सफलता का मंत्र है और कॉलेज विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल से लैस करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च के पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एमबीएसआई चंडीगढ़ ट्राइसिटी में एनवायरनमेंटल बायोटेक्नोलॉजी के अध्यक्ष, एसएएस पॉलीक्लिनिक के निदेशक प्रो. स्वर्णजीत सिंह और कॉलेज के खाद्य विज्ञान विभाग में संकाय सदस्य डॉ. वंदना शर्मा, डॉ. संदीप कौर, डॉ. अनिला और डॉ. दीपिका मलिक इस कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। पहले दिन, डॉ. वंदना शर्मा ने व्याख्यान के माध्यम से मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रतिरक्षा कोशिकाओं, उनके काम करने एवं प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बनाए रखने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ. संदीप कौर और डॉ. अनिला ने कार्यशाला में प्रतिदिन व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए, जिसमें विद्यार्थियों को रेडियल इम्यूनोडिफ्यूजऩ, टोटल ल्यूकोसाइट काउंट, डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट, एग्लूटिनेशन और प्रिसिपेशन रिएक्शन जैसी इम्यूनोलॉजिकल डायग्नोस्टिक तकनीकों का प्रदर्शन करके दिखाया गया।

विद्यार्थियों ने इंचार की देखरेख में प्रयोग किए। कार्यशाला के चौथे दिन प्रो. स्वर्णजीत सिंह उपस्थित रहे और रोल ऑफ बायोसर्फैक्टेंट्स एज़ एडजुवेंट्स एंड इन इम्यूनोमॉड्यूलेशन, विषय पर व्याख्यान दिया।

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