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भरत अग्रवाल , चंडीगढ़ दिनभर। शराब तस्करी में चंडीगढ़ तीसरे नम्बर पर हैं । चंडीगढ़ से नशाबंदी राज्य बिहार में शराब की जमकर तस्करी हो रही हैं। बिहार में होने वाली तस्करी में चंडीगढ़ से 10 प्रतिशत शराब की सप्लाई होती हैं। यह आकड़े नई दिल्ली निर्वाचन सदन द्वारा दिए गए हैं। फरवरी माह में निर्वाचन सदन के सीनियर डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर ने पंजाब ,हरियाणा , यूपी, चंडीगढ़़ , उतरांचल प्रदेश , वेस्ट बंगाल , झारखंड ,राजस्थान और उड़ीसा को पत्र जारी कर बताया हैं कि उनके राज्यों व यूटी से नशाबंदी स्टेट बिहार में शराब की तस्करी हो रही हैंं। इस तस्करी को रोकने के लिए सख्त कार्रवाही की जाए। पत्र मिलने के बाद सभी राज्य व यूटी के आलाअधिकारी अलर्ट हो चुके हैं और शराब तस्करी को रोकने के लिए छापेमारी की जा रही हैं।

शराब तस्करी को रोकने में विफल रहे एक्साइज डिपार्टमेंट पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। आए दिन शराब तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। चंडीगढ़ पुलिस की रडार पर एक्साइज डिपार्टमेंट के कई अधिकारी भी हैं। चंडीगढ़ पुलिस को शक हैं कि बिना परमिट और लाईसेंस के नशाबंदी राज्यों में शराब की तस्करी एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नही हैं। बीते दिनो चंडीगढ़ पुलिस ने कई शराब बनाने वाली कंपनियो पर रेड कर दस्तावेज की जांच की थी। सूत्रों के मुताबिक चंडीगढ़ पुलिस शराब तस्करी को लेकर बड़ा खुलासा कर सकती हैं। पुलिस पता लगाने में जुटी हैं कि इस शराब तस्करी में फैक्टरी मालिको के साथ एक्साइज डिपार्टमेंट के कौन से अधिकारी और ट्रांसपोटर्स जुड़े हैं। बिना मिलीभगत के शराब की तस्करी को इतने बड़े लेवल पर करना मुमिकन नही हैं।

शराब तस्करी में पंजाब नम्बर 1 : बिहार में होने वाली शराब तस्करी में पंजाब नम्बर 1 पर आता हैं। निर्वाचन सदन द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार बिहार में हो रही शराब तस्करी में 42 प्रतिशत शराब मेड इन पंजाब हैं। वहीं यूपी से 20 प्रतिशत अवैध शराब बिहार में सप्लाई होती हैं। इसके अलावा हरियाणा से 8 प्रतिशत, अरूणाचल प्रदेश से 5 प्रतिशत , वेस्ट बंगाल से 4 प्रतिशत , झारखंड से 2 प्रतिशत , राजस्थान से 2 प्रतिशत और उड़ीसा से 1 प्रतिशत शराब की तस्करी हो रही हैं।

फर्जी ईवे बिल पर शराब की तस्करी: बिहार मेंं शराब की तस्करी करने के लिए फर्जी ईवे बिल का सहारा लिया जाता हैं। यह फर्जी ईवे बिल दवाइयों से लेकर सोलर पंप और कीटनाशक वस्तुओ के बनाए जाते हैं। बिहार में पकड़ी गई अवैध शराब के दौरान देखा गया कि ईवे बिल फर्जी थे और जिस जीएसटी फर्म की डिटेड उस ईवे बिल में थी,वह भी सही नही थी।

ट्रांसपोर्टर भी इस रैकेट का हिस्सा: बिहार में हो रही शराब की तस्करी को पकड़े जाने पर यह भी खुलासा हुआ हैं कि इस रैकेट में ट्रांसपोर्टर की एक बड़ी चैन शामिल हैं। जोकि बार्डर पर पार करने में मद्द करती हैं। ट्रांसपोर्टर की मद्द से शराब की तस्करी करना बेहद आसान हो जाता हैं। बिहार तक पहुंचने के लिए कई गाडिय़ो को बदला जाता हैं ताकि पुलिस की आंखो में धूल झोंकी जा सके। हैरानी की बात हैं कि शराब तस्करी में जो व्हिकल इस्तेमाल होते हैं , उन पर लगे फास्टैग तक फर्जी होते हैं ताकि गाड़ी को ट्रैस न किया जा सके।

करोड़ा की शराब का होता है नकदी सौदा: निर्वाचन सदन के अनुसार शराब की तस्करी में करोड़ो रूपए की नकदी ईधर से उधर होती हैं। इससे इनकम टेक्स डिपार्टमेंट को भी घाटा हो रहा हैं। जोकि चिंता का विष्य हैं। बात दें कि एक गाड़ी में करोड़ो रूपए की अवैध शराब को बिना परमिट और लाईसेंस के नशाबंदी राज्यों में भेजा रहा हैं।

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