
कुछ वर्षों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी अच्छा-खासा इजाफा देखने को मिल रहा
नई दिल्ली सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स में छूट और आर्थिक मोर्चे पर महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए सुविधाएं दे रखी हैं. घर पर मालिकाना हक महिलाओं को देने से आर्थिक और पारिवारिक संतुलन भी बढ़ता है. पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी अच्छा-खासा इजाफा देखने को मिलता है. महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही. इसलिए प्रॉपर्टी टैक्स में छूट और वित्तीय लाभ के कुछ खास इंतजाम किए हैं. लेकिन सरकार की इन लाभकारी योजनाओं के इतने विस्तार के बाद भी अधिकांश महिलाओं को इनकी जानकारी नहीं होती है. तो आज हम आपको बताते हैं कि सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स में छूट और आर्थिक मोर्चे पर महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए कौन सी सुविधाएं दे रखी हैं.
मालिकाना हक महिलाओं को देने से आर्थिक और पारिवारिक संतुलन भी बढ़ता है. पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी अच्छा-खासा इजाफा देखने को मिलता है. अगर आप घर खरीदने के लिए अधिकतर लोग लोन लेते हैं. होम लोन लेने के बाद ग्राहक बैंक में जो रकम चुकाते हैं, उसमें ब्याज दर और मूलधन शामिल होता है, जिसे ईक्वल मंथली इंस्टॉलमेंट या इएमआई कहा जाता है. हाउसिंग फाइनेंस संस्थान पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ब्याज दर में राहत देती हैं. कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं के उद्देश्य और आय के अनुसार विशेष लोन स्कीम भी बनाई हैं. ब्याज दर कम होने की वजह से पत्नी के नाम पर घर खरीदना फायदे का सौदा है
कई राज्य में महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी शुल्क में छूट मिलती हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में महिलाओं और महिला-पुरुष के लिए रजिस्ट्री शुल्क की दर पुरुषों के लिए निर्धारित रजिस्ट्री शुल्क की दर के मुकाबले करीब दो से तीन फीसदी कम है. तो यदि महिला किसी प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करवाती है तो स्टाम्प ड्यूटी पर भी छूट मिलती है. ड्यूटी पर 6 प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करना होता है, जबकि महिलाओं को इसमें 2 प्रतिशत की छूट मिलती है. यानी उन्हें स्टाम्प ड्यूटी पर केवल 4 प्रतिशत का ही भुगतान करना होता है. यदि महिला के पास किसी प्रॉपर्टी की ऑनरशिप है तो इससे उसकी आर्थिक सुरक्षा में मजबूती आती है और वह आत्मनिर्भरत होती है. चूंकि इस प्रॉपर्टी पर उसका अधिकार है, इसलिए वो पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कोई भी निर्णय ले सकती है. फिर चाहे इसमें पति, बच्चे या परिवार के अन्य सदस्य सहमत हों या न हों. वो प्रॉपर्टी को खरीदने, बेचने और या उसे किराये पर देने के लिए स्वेच्छा से निर्णय ले सकती है. महिलाओं को प्रॉपर्टी से संबंधि टैक्स पर भी छूट मिलती है.