
ई-टेंडरिंग पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ऐलान
चंडीगढ़ दिनभर । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरपंचों से आह्वान किया कि जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता के प्रति अपनी जिम्मेदाारी समझें और गांव के विकास कार्य पारदर्शिता से करवाएं। उन्होंने कहा कि ई-टेंडरिंग में कोई कठिनाई आएग, तो उसको दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-टेंडरिंग से सरपंचों के हाथ मजबूत किए हैं। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी और कार्य शीघ्रता से पूरे होंगे।
मुख्यमंत्री ने सरपंचों की कोटेशन के आधार पर विकास कार्य की सीमा दो लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की घोषणा कीए साथ ही उन्होंने सरपंचों का मानदेय तीन से बढ़ाकर पांच हजार तथा पंचों का भी एक हजार से बढ़ाकर 1600 रुपए करने की घोषणा करते हुए इसको सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर महंगाई भत्ते के साथ जोडऩे की बात कही। भविष्य में सरपंच ग्राम सचिव की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में अपनी टिप्पणी दर्ज कर सकेंगे। मुख्यमंत्री बुधवार को यहां हरियाणा निवास में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल मलिक, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डा. अमित अग्रवाल, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक संजय जून भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधियों से कहा कि इस वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही के लिए आबंटित किए गए 1100 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के प्रस्ताव 31 मार्च से पहले अपलोड कर दें। इनमें ग्राम पंचायतों को 800 करोड़, ब्लॉक समितियों को 165 करोड़ तथा जिला परिषदों को 110 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। अब तक 6217 पंचायतों में से 5048 पंचायतों ने विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित कर दिए हैं। दो लाख से कम राशि के 9418 कार्यों के प्रस्ताव मिल चुके हैं, जबकि दो लाख से अधिक राशि के 1044 कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति उपरांत अपलोड किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास कार्यों की सोशल-ऑडिट के लिए ग्राम स्तर पर मौजिज लोगों की एक कमेटी बनाई जाएगी जो गांव में होने वाले विकास कार्यों पर नजर रखेगी। विकास एवं पंचायत विभाग के लिए अलग से इंजीनियरिंग विंग भी गठित की जाएगी। विकास कार्यों की गुणवत्ता जांचने के लिए छह माह में सोशल ऑडिट सिस्टम स्थापित किया जाएगा।