
चंडीगढ़ दिनभर
यमुनानगर। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने न केवल मुगलों द्वारा तोड़े गए हिंदू मंदिरों का नव निर्माण कराया बल्कि अपने शासन को स्थायित्व देकर लोक कल्याणकारी नीतियों से लागू करके शासन को सुदृढ़ किया। एक महिला होते हुए भी अहिल्याबाई होलकर एक कुशल प्रशासक, कूटनीतिज्ञ , राजनयिक, राजनीतिज्ञ थी। ये शब्द आईटीआई के प्रांगण में सामाजिक समरसता मंच द्वारा आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जयंती के अवसर पर मुख्य वक्ता सुरेंद्र कुमार एडवोकेट ने छात्राओं संबोधित करते हुए कहे। कार्यक्रम में 15 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। उन्होंने कहा कि सामान्य परिवार में जन्म लेकर होल्कर साम्राज्य की महारानी बनने तक का सफर अहिल्याबाई होल्कर का कठिनाइयों से भरा हुआ है।
29 वर्ष की आयु में पति खांडे राव का वीरगति को प्राप्त होना, अल्प काल में पुत्र मालेराव की मृत्यु हो जाना, पुत्र मालेराव के बाद ससुर मल्लाहार राव का देहांत होना, जीवन की ऐसी घटनाएं थी जिन्होंने अहिल्याबाई होल्कर को विचलित किया, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने अपने आंसुओं को पोंछकर जनकल्याण में लग गई। अपनी उत्कृष्ट जन नीतियों व लोक कल्याण के लिए अहिल्याबाई होल्कर की तुलना इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ, रशियन महारानी कैथलीन, डेनमार्क की महारानी मार्गरेट के साथ की जाती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध समाजसेवी शशि चावला रही।
उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करके एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक के रूप में स्वयं को स्थापित किया अहिल्याबाई ने केवल हिंदू मंदिरों का पुनर्निर्माण ही नहीं किया बल्कि जन कल्याण के लिए अनेक नए कानूनों व नियमों का सुदृढ़ीकरण किया। नारी सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति कहीं जाने वाली लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने प्रजा को अपने बच्चों के समान समझ कर न्याय किया। विधवा महिलाओं की संपत्ति जब्त करने के कानून को खत्म किया व महिला सेना का निर्माण कर अपनी रक्षा के लिए सेना का सुदृढ़ीकरण किया ।अहिल्याबाई होल्कर ने अपनी बुद्धिमता व युद्ध कौशल से कई युद्ध जीते व सेना का नेतृत्व किया।