
ट्रायल कोर्ट ने जुर्माने समेत 48 लाख रुपए हर्जाना देने का किया था ऑर्डर
चंडीगढ़ दिनभर
मोहाली कोर्ट ने बुधवार को चेक बाउंस मामले में एक आरोपी को आरोप साबित न होने पर बरी करने का फैसला सुनाया है।
एडिशनल सेशंस जज अवतार सिंह ने ट्रायल कोर्ट की ओर से सुनाए गए सजा के फैसले को निरस्त करने का आदेश दिया और मोहाली निवासी आरोपी परवीन ओबेरॉय को बरी कर दिया। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने मोहाली फेज 4 निवासी परवीन ओबेरॉय को नेगोशिएबल इन्स्ट्रुमेंट एक्ट की धारा 138 के सज़ा के फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील में बरी करने का फैसला सुनाया है। ट्रायल कोर्ट ने फेज-11 निवासी रंजन गल्होत्रा की शिकायत पर आरोपी को छह महीने की सज़ा के साथ चेक की दोगुना कीमत, यानी कि कुल 48 लाख रुपये देने का फैसला सुनाया था।
जिसके चलते उक्त आरोपी ने लोअर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मोहाली के एडिशनल सेशंस जज में अपील दायर की थी। आरोपी की तरफ से केस की पैरवी एडवोकेट जतिन कुमार सैनी कर रहे थे। आरोपी के वकील जतिन कुमार सैनी ने बताया कि शिकायतकर्ता द्वारा कोर्ट में बताई गई कहानी झूठी साबित हुई और शिकायतकर्ता ने आरोपी का ब्लैंक साइन किए हुए चेक का गलत इस्तेमाल किया था। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने ट्रायल कोर्ट में दी अपनी गवाही कहा था कि उसे चेक बाउंस का मेमो 16 दिसंबर 2018 को प्राप्त हुआ था। लेकिन आरोपी के बैंक की ओर से जारी किया गया चेक बाउंस मेमो में यह स्पष्ट हुआ कि वह 9 दिसंबर 2018 को जारी किया गया था।
एडवोकेट जतिन सैनी ने बताया कि शिकायतकर्ता ने क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान यह माना कि उन्हें यह मेमो 9 दिसंबर 2018 को प्राप्त हुआ था। ऐसे में शिकायतकर्ता ने आरोपी के बैंक से जारी डेट को ही यह मेमो प्राप्त हुआ माना है। इससे साबित होता है कि शिकायतकर्ता को चेक बाउंस का मेमो 9 दिसंबर 2018 को ही मिला था। वहीं, शिकायतकर्ता की ओर से ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया जिससे यह साबित होता हो कि चेक बाउंस का मेमो 16 दिसंबर 2018 को प्राप्त हुआ हो। इन्हीं तथ्यों को मध्य नजऱ रखते हुए अपीलेट कोर्ट ने चेक बाउंस के उक्त आरोपी को बरी किया और ट्रायल कोर्ट के आर्डर को खारिज किया।