
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स की मैन्युफैक्च रिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निवेशकों को प्रोत्साहन और सब्सिडी देने का लिया निर्णय
चंडीगढ़ दिनभर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स की मैन्युफैक्च रिंग को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने निवेशकों को तमाम तरह के प्रोत्साहन और सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। खासतौर पर उन निवेशकों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा, जो कर्मचारियों के कौशल विकास को महत्व देंगे। ईवी मैन्युफैक्च रिंग एंड मोबिलिटी पॉलिसी में प्राविधान किए गए हैं। पॉलिसी के क्रियान्वयन से संबंधित नियमावली में कौशल विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान की गई है। इसके अनुसार प्रदेश में ईवी मैन्युफैक्च रिंग में निवेश करने वाली कंपनियों को कौशल विकास सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
यही नहीं, किसी वर्ष विशेष में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अलग से वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में प्रदेश में निवेश करने वाली कंपनियों से अपील की थी कि वो प्रदेश में निवेश के साथ-साथ युवाओं के कौशल विकास का भी प्रयास करें, ताकि भविष्य के लिए एक कुशल मैनपावर का सृजन किया जा सके। इसके लिए उन्होंने सरकार की ओर से हर संभव मदद देने का भी आश्वासन दिया था। ईवी पॉलिसी में कौशल विकास सब्सिडी का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार सभी परिभाषित विनिर्माण परियोजनाओं के लिए स्टाइपेंड की प्रतिपूर्ति के रूप में अधिकतम 50 कर्मचारियों को प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष 5000 रुपए की दर से एक बार सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
इसी प्राविधान के तहत किसी वर्ष विशेष में अधिकतम 10 कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए भी सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा। यह प्रोत्साहन लाभ केवल उन कर्मचारियों पर लागू होगा जो प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित होने से पूर्व 12 माह की अवधि के लिए आवेदन करने वाली विनिर्माण इकाई में कार्यरत हों। सब्सिडी हेतु अनुमन्य होने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय कौशल विकास निगम या उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन या किसी केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालय /महाविद्यालय या आईटीआई/पॉलीटेक्निक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए। सभी प्रोत्साहन लाभ वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के बाद ही प्रदान किए जाएंगे। विनिर्माण परियोजनाओं के लिए समस्त वित्तीय प्रोत्साहनों का योग स्थाई पूंजी निवेश के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।