डॉ. तरूण प्रसाद 29

भाषण दे रहे प्रधानमंत्री के ऊपर फेंका गया पानी

चंडीगढ़ दिनभर

प्रिस्टिना। यूरोपीय देश कोसोवो की संसद में गुरुवार को उस समय विवाद हो गया जब एक विपक्षी सांसद ने प्रधानमंत्री अल्बिन कुर्ती पर पानी फेंक दिया। घटना के समय पीएम कुर्ती देश के उत्तर में जातीय सर्बों के साथ तनाव कम करने के लिए सरकार की तरफ से किए जा रहे उपायों के बारे में बोल रहे थे। कोसोवो के विपक्षी दलों ने उत्तरी इलाकों में कुर्ती की नीतियों की आलोचना की है जिससे प्रमुख पश्चिमी सहयोगियों के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कुर्ती पर हालात को शांत करने के लिए दबाव डाला है।

बता दें कि इस मुल्क में मई में पुलिस समर्थित जातीय अल्बानियाई महापौरों के चुनाव के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसका क्षेत्र में जातीय सर्ब बहुमत ने व्यापक रूप से बहिष्कार किया था। स्थानीय सर्ब और कोसोवो पुलिस और हृ्रञ्जह्र के नेतृत्व वाले शांति सैनिकों के बीच झड़प में दर्जनों लोग घायल हो गए थे, जिससे 1998-99 जैसे संघर्ष की आशंका बढ़ गई। उस खूनी संघर्ष में 10,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

कुर्ती ने बुधवार को एलान किया कि वह उत्तरी कोसोवो में जातीय सर्ब-बहुल क्षेत्रों में 4 नगरपालिका भवनों के बाहर तैनात विशेष पुलिस अधिकारियों की संख्या कम कर देंगे, और प्रत्येक शहर में नए मेयर चुनाव कराएंगे। नगर निगम भवनों से कई विशेष पुलिस बल हटा लिए गए हैं। इस कदम से विपक्ष नाराज हो गया, जिसने तर्क दिया कि कुर्ती ने महीनों तक ‘प्रयोग’ किया और कोसोवो की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को खतरे में डाला और बाद में पीछे भी हट गए। कोसोवो की डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद मर्गिम लुश्ताकु भाषण के दौरान कुर्ती के पास आए और उन पर पानी फेंक दिया, जिससे विवाद शुरू हो गया। बवाल के दौरान कुर्ती को असेंबली हॉल से बाहर ले जाया गया। कुर्ती ने कहा है कि वह पुलिस और नए जातीय अल्बानियाई मेयरों की तैनाती के साथ उत्तरी कोसोवो में कानून और व्यवस्था लागू कर रहे हैं।

अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने उनसे हालात का समाधान होने तक महापौरों को उत्तरी इलाकों से दूर भेजे जाने का आग्रह किया था। कोसोवो कभी सर्बिया का हिस्सा हुआ करता था और 2008 में उसकी स्वतंत्रता की घोषणा को बेलग्रेड मान्यता नहीं देता है। कोसोवो में अधिकांश जातीय सर्बों ने भी कोसोवो के राज्य का दर्जा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, जिसे अमेरिका और अधिकांश यूरोपीय संघ के देशों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन रूस और चीन का नहीं। सर्बिया ने युद्ध को लेकर अपनी तैयारियां बढ़ा दी थीं और देश की सीमा से लगे उत्तर में तनाव के जवाब में सैन्य हस्तक्षेप की धमकी दी थी।

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