डॉ. तरूण प्रसाद 2023 08 03T134251.612

चंडीगढ़ दिनभर

दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है। सर्वे करिए, लेकिन बिना खुदाई किए। उधर, मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने कहा कि वह अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

आपको बता दें पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ASI से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू न करने को कहा था। जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपने फैसले को रिजर्व कर लिया था।

किसने क्या कहा –
अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी। ज्ञानवापी का विवाद श्रीराम जन्मभूमि के विवाद की तरह है। निर्णय होगा…निस्तारण होगा। शिवभक्तों की मनोकामना पूरी होगी।
समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन ने ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश पर कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे।

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा, ‘ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट का निर्णय केवल हिंदू पक्ष की जीत नहीं, बल्कि सत्य, विज्ञान, लॉजिक और पुरातत्व शास्त्र की जीत है।

‘ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है। आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है।

‘ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि न्याय होगा। क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं।’
हरिशंकर जैन बोले-ऐसे अनगिनत साक्ष्य जो हिंदू मंदिर बताते हैं |

सीनियर एडवोकेट हरिशंकर जैन ने कहा, “वहां ऐसे अनगिनत साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर था। ASI सर्वे से तथ्य सामने आएंगे। मुझे यकीन है कि असली ‘शिवलिंग’ वहां मुख्य गुंबद के नीचे छुपाया गया है। इस सच्चाई को छुपाने के लिए वे (मुस्लिम पक्ष) बार-बार आपत्ति जता रहे हैं। वे जानते हैं कि इसके बाद यह मस्जिद नहीं रहेगी और वहां भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।”

क्या है वाराणसी का मुक़दमा?
पिछले साल अगस्त में दिल्ली की एक महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति की माँग करते हुए एक याचिका दाख़िल की। वाराणसी की एक निचली अदालत में दाख़िल अर्ज़ी में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि ये देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं जो विवादित नहीं है। अर्ज़ी में कहा गया कि सर्वे कराके पूरे मामले को सुलझाया जाए। लगभग आठ माह बाद आठ अप्रैल, 2022 को अदालत ने सर्वेक्षण करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए। मस्जिद इंतज़ामिया (प्रबंधन समिति) ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने नामंज़ूर कर दिया। सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के वज़ूख़ाने में एक ऐसी आकृति मिली है, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है, जिसके बाद मस्जिद को सील कर दिया गया था. हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज़ जारी रखने जाने का आदेश सुनाया, हालाँकि वज़ूख़ाना अब भी सील है।

श्रृंगार गौरी की पूजा अभी भी साल में एक बार नवरात्र चतुर्थी को होती है, लेकिन अब प्रतिदिन पूजा करने की इजाज़त माँगी जा रही है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने सवाल उठाया था कि जब पूजा वाली जगह मस्जिद की पश्चिमी दीवार की बाहरी ओर है यानी विवादित जगह पर नहीं है, तो ऐसे में मस्जिद में प्रवेश करने और वहाँ सर्वेक्षण कराए जाने का क्या औचित्य है? ज्ञानवापी मामले की सुनवाई वाराणसी की अदालत में हो रही है। 12 सितंबर को इस मामले पर वाराणसी जिला जज एके विश्वेश ने अपने फ़ैसले में मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दिया।

अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पाँच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होनी है। इसी दिन मुस्लिम पक्ष को जवाब दाख़िल करने को भी कहा गया है। काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ये पहला अदालती मामला नहीं है। अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद के वकील अभय यादव ने बीबीसी संवाददाता अनंत झणाणे को बताया था कि साल 1991 में एक केस फ़ाइल हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद जहाँ बनी है, वो काशी विश्वनाथ की ज़मीन है इसलिए मुस्लिम धर्मस्थल को हटाकर उसका क़ब्ज़ा हिंदुओं को सौंपा जाए। ये मामला हाई कोर्ट में है।

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