चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा संचालित स्मार्ट पार्किंग की खुली पोल
पार्किंग शुल्क की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर शहरवासियों में नाराजगी, नगर निगम की व्यवस्थाओं पर उठ रहे गंभीर प्रश्न
बड़े बड़े वादे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और, पार्किंग व्यवस्ता की खामियां धीरे-धीरे उजागर हो रही, शहर में कई पार्किंग स्थल ऐसे जहां स्मार्ट पार्किंग की मशीनें पड़ी हैं बंद
चंडीगढ़(हिमान्शु शर्मा): चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा संचालित स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था की खामियां धीरे-धीरे उजागर हो रही हैं, जिससे शहरवासियों में असंतोष और नाराजगी का माहौल बन रहा है। नगर निगम ने शहर में स्मार्ट पार्किंग का वादा किया था, जिससे पार्किंग व्यवस्था पारदर्शी और सुविधाजनक हो सके, लेकिन कई स्थानों पर स्मार्ट पार्किंग की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होती दिखाई दे रही है।
शहर में कई पार्किंग स्थल ऐसे हैं जहां स्मार्ट पार्किंग की मशीनें बंद पड़ी हैं। स्मार्ट सिस्टम के नाम पर जनता से जो वादे किए गए थे, वे सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रहे हैं। पार्किंग शुल्क की वसूली अब भी पर्चियों के माध्यम से की जा रही है, जो कि स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था की मूलभूत अवधारणा के विपरीत है। पर्चियों के जरिए शुल्क लेने से न केवल पारदर्शिता खत्म हो रही है, बल्कि अधिक शुल्क वसूले जाने की शिकायतें भी लगातार सामने आ रही हैं।
कर्मचारियों की पहचान पर सवाल
सबसे बड़ी चिंता यह है कि पार्किंग शुल्क वसूलने वाले कर्मचारियों के पास न तो वर्दी होती है और न ही उनके पास कोई पहचान पत्र (आईडी कार्ड) होता है। बिना पहचान पत्र के पार्किंग कर्मियों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है, जिससे सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि बिना पहचान पत्र वाले कर्मियों को पार्किंग शुल्क वसूलने की जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है, और यह पूरी व्यवस्था सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
पारदर्शिता पर संदेह
स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था का मकसद था कि शहर में एक पारदर्शी और डिजिटल सिस्टम के माध्यम से पार्किंग शुल्क वसूला जाए, ताकि किसी भी प्रकार की हेराफेरी की गुंजाइश न रहे। लेकिन पर्चियों के माध्यम से शुल्क वसूलने का तरीका न केवल लोगों के साथ धोखा है, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि नगर निगम की यह योजना जमीनी स्तर पर विफल हो रही है। कई लोग इस बात से नाराज हैं कि पर्चियों के जरिए शुल्क में धांधली हो सकती है और लोगों से तय शुल्क से अधिक वसूला जा सकता है।
शहरवासियों में नाराजगी
चंडीगढ़ के वाहन चालकों ने इस स्थिति पर कड़ा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट पार्किंग का वादा किया गया था, लेकिन वे अभी भी पुराने और पारंपरिक तरीके से काम करने को मजबूर हैं। एक चालक ने कहा, "हमसे स्मार्ट पार्किंग के नाम पर शुल्क लिया जाता है, लेकिन असल में हमें पर्चियों से ही काम चलाना पड़ रहा है। यह पूरी व्यवस्था हमारे साथ धोखा है।"
एक अन्य नागरिक ने कहा, "स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था का जो वादा किया गया था, वह जमीनी स्तर पर कहीं नजर नहीं आता। पार्किंग कर्मचारी बिना आईडी कार्ड के काम कर रहे हैं, और यह हमारी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।"
नगर निगम पर सवाल
शहर के नागरिकों ने कई बार इन खामियों के बारे में शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन अब तक नगर निगम द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का कहना है कि जब नगर निगम स्मार्ट पार्किंग की व्यवस्था को सुचारू रूप से नहीं चला सकता, तो इसका वादा क्यों किया गया?
मेयर का बयान
इस मामले पर चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हमने सभी पार्किंग में मशीनें लगाई हैं। अगर किसी पार्किंग में मशीन नहीं है, तो हम इस पर सख्त एक्शन लेंगे। यह स्वीकार्य नहीं है कि बिना मशीन के शुल्क वसूला जाए।"