जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का फैसला

नगर निगम को 1000 रुपए लौटाने या बिल में एडजस्ट करने के आदेश

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का फैसला

चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने अनावश्यक कचरा संग्रहण शुल्क वसूली पर नगर निगम को 1000 रुपए वापस करने या समायोजित करने का आदेश दिया।

चंडीगढ़ दिनभर 
चंडीगढ़: जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चंडीगढ़ नगर निगम आयुक्त को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता से ली गई 1000 रुपए की अतिरिक्त राशि को या तो वापस करे या अगले बिल में समायोजित करे। यह आदेश एक शिकायत पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जहां शिकायतकर्ता ने डोर टू डोर कचरा संग्रहण शुल्क के रूप में यह राशि अनावश्यक रूप से वसूले जाने की बात कही थी।
 
शिकायतकर्ता ने नगर निगम पर लगाया अतिरिक्त शुल्क वसूलने का आरोप
 
आर.एल. अरोड़ा, जो एक सरकारी विभाग से सेवानिवृत्त हैं और सैक्टर-21ए में टॉप फ्लोर पर रहते हैं, ने नगर निगम आयुक्त के खिलाफ शिकायत दायर की थी। उन्होंने बताया कि उनके मकान में पानी के दो मीटर लगे हैं—एक ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल के लिए, और दूसरा टॉप फ्लोर के लिए। उन्होंने बताया कि पहले डोर टू डोर कचरा संग्रहण सेवा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा प्रदान की जाती थी, जो 31 मार्च, 2021 तक जारी रही। इसके बाद अप्रैल और मई 2021 के महीनों के लिए निजी सेवा प्रदाता ने यह सेवा दी थी।
 
बिल में अनावश्यक कचरा संग्रहण शुल्क जोड़ा गया
 
25 जून, 2021 को शिकायतकर्ता को पानी का बिल मिला, जिसमें जनवरी 2021 से मई 2021 तक की अवधि के लिए 1000 रुपए का कचरा संग्रहण शुल्क जोड़ा गया था। इसी तरह ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल के निवासियों के बिल में भी 1000 रुपए डेबिट किए गए थे। शिकायतकर्ता ने 13 जुलाई, 2021 को नगर निगम को सूचित किया कि जनवरी से मई 2021 की अवधि के लिए कचरा संग्रहण सेवा प्रदान नहीं की गई थी, इसलिए इस अवधि के लिए शुल्क वसूलना अनुचित और गैरकानूनी है।
 
निगम की कार्रवाई पर आयोग का फैसला
 
शिकायतकर्ता द्वारा कानूनी नोटिस देने के बावजूद जब नगर निगम से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने आयोग का रुख किया। दूसरी ओर, नगर निगम ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बायलॉज का हवाला देते हुए जवाब दिया। आयोग ने पाया कि जनवरी से मई 2021 के दौरान शिकायतकर्ता ने प्राइवेट ऑपरेटर्स को कचरा संग्रहण की भुगतान की थी, इसलिए नगर निगम द्वारा 1000 रुपए चार्ज करना अनुचित है। आयोग ने आदेश दिया कि यह राशि या तो रिफंड की जाए या फिर अगले बिल में एडजस्ट की जाए।
 
 
Edited By: Khushi Aggarwal

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