पंजाब में केबल ऑपरेटर विवादों की जांच सीबीआई को सौंपी
3 माह में रिपोर्ट सौंपने के आदेश , जरूरत पड़ी चंडीगढ़ पुलिस से सहयोग भी ले सकती है
By: Khushi Aggarwal
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने केबल ऑपरेटरों से जुड़े मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को जांच सौंप दी है, राज्य पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
विनोद राणा, चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में केबल ऑपरेटरों से जुड़े कई विवादों और लंबित मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपते हुए राज्य पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी की जरूरत है, क्योंकि राज्य पुलिस की भूमिका पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता। वही हाई कोर्ट द्वारा कहा गया है कि अगर सीबीआई को केस की जांच में सहयोग की जरूरत पड़ती है तो वह चंडीगढ़ पुलिस से सहयोग ले सकती है और चंडीगढ़ पुलिस भी इसमें सीबीआई को पूरा सहयोग करेगी।
इस मामले में हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य पुलिस द्वारा लंबित मामलों में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। कई शिकायतें और एफआईआर प्रभावशाली व्यक्तियों और नेताओं के इशारे पर दर्ज की गईं, लेकिन इनकी जांच में कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने कहा कि राज्य पुलिस की निष्क्रियता ने अदालत को मजबूर कर दिया है कि अब इन मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जैसी एजेंसी को हस्तक्षेप करना चाहिए।
अंगद दत्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जालंधर के न्यू बाड़मेर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर 0049, दिनांक 25 अप्रैल, 2022, और इसी तरह की अन्य शिकायतों की जांच भी अब सीबीआई को सौंपी जाएगी। इन एफआईआर में चोरी (धारा 379) और विश्वासघात (धारा 406) जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं, जिनकी निष्पक्षता पर संदेह जताया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य पुलिस के पास पारदर्शी तरीके से जांच करने की क्षमता पर विश्वास खत्म हो चुका है। इस मामले में सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि केबल ऑपरेटरों और मीडिया घरानों से जुड़े मामलों का प्रभाव केवल पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक असर पूरे देश पर हो सकता है, क्योंकि ये मीडिया प्लेटफार्म स्थानीय स्तर से निकलकर अंतरराष्ट्रीय समाचार प्रसारित करते हैं। हाईकोर्ट ने चेताया कि मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को खतरे में डालने वाली कोई भी कार्रवाई लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य को इन मामलों की जांच में प्राथमिकता दिखानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा न होने के कारण अब सीबीआई को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होती, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। अब सीबीआई के हाथ में इन मामलों की जांच होने से उम्मीद जताई जा रही है कि केबल ऑपरेटरों के विवादों और मीडिया घरानों से जुड़े मामलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ न्याय होगा।
Edited By: Khushi Aggarwal