मनीष तिवारी का खुफिया एजेंसियों के लिए कानूनी ढांचे का प्रस्ताव
कांग्रेस सांसद ने संसद में पेश किया निजी सदस्य का विधेयक, खुफिया एजेंसियों के लिए संसदीय निगरानी की मांग की
मनीष तिवारी ने खुफिया एजेंसियों के कानूनी ढांचे और संसदीय निगरानी के लिए एक बार फिर से विधेयक पेश किया है।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद मनीष तिवारी ने देश की खुफिया एजेंसियों के लिए कानूनी ढांचा और संसदीय निगरानी की आवश्यकता पर एक बार फिर से जोर दिया है। तिवारी ने अगस्त 2024 में लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान एक निजी सदस्य का विधेयक पेश किया, जो खुफिया एजेंसियों को कानूनी रूप से स्थापित करने और उन पर संसदीय निगरानी की मजबूत व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव करता है।
तिवारी ने बताया कि पहली बार उन्होंने 2011 के बजट सत्र में यह विधेयक पेश किया था, जब वे मंत्री नहीं थे। बाद में, मंत्री बनने के बाद, वह विधेयक समाप्त हो गया। इसके बाद, 2021 के शीतकालीन सत्र में उन्होंने इसे अपडेट करके दोबारा पेश किया था, लेकिन 2024 में लोकसभा भंग होने के कारण यह विधेयक फिर से समाप्त हो गया। अब तीसरी बार उन्होंने इसे पुनः संसद के समक्ष रखा है।
मनीष तिवारी ने कहा, "यह समय की मांग है कि हमारी खुफिया एजेंसियों को कानूनी रूप से स्थापित किया जाए और उनके लिए एक सशक्त संसदीय निगरानी की व्यवस्था हो। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह भारत की सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था को और मजबूत करेगा।"
इस विधेयक को लेकर तिवारी का मानना है कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए खुफिया एजेंसियों का कामकाज कानूनी तौर पर परिभाषित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश की सुरक्षा तंत्र को और सुदृढ़ किया जा सकेगा।