पंजाब यूनिवर्सिटी के लैब और तकनीकी स्टाफ का शांतिपूर्ण विरोध जारी
28 अक्तूबर से काम का बहिष्कार करने की चेतावनी
By: Khushi Aggarwal
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लंबित मांगों को लेकर 25 अक्तूबर तक काले बैज पहनकर करेंगे प्रदर्शन, वित्त बोर्ड की मंजूरी न मिलने पर 28 अक्तूबर से लैब का पूर्ण बहिष्कार।
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रयोगशाला एवं तकनीकी स्टाफ एसोसिएशन (पीयूएलटीएसए) ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों के निस्तारण के लिए विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्र देव पटियाल और अन्य पदाधिकारियों द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि कर्मचारियों ने 22 अक्तूबर से 25 अक्तूबर 2024 तक काले बैज पहनकर विरोध जताने का निर्णय लिया है।
एसोसिएशन का कहना है कि उनकी 7/14/21 की मांगों को लेकर 23 दिसंबर 2019 को संयुक्त परामर्श समिति (जेसीएम) द्वारा सिफारिश की गई थी, जिसे अभी तक वित्त बोर्ड की मंजूरी के लिए नहीं भेजा गया है। इसके अलावा, 1 दिसंबर 2022 को कुलपति द्वारा गठित समिति ने भी इन्हीं मांगों पर सहमति जताई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
एसोसिएशन के महासचिव डॉ. अरुण रैना ने बताया कि संघ ने कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी मांगों पर विचार करने का अनुरोध किया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। इसके चलते पीयू अधिकारियों को 18 अगस्त 2023 को पत्र लिखकर विरोध की जानकारी दी गई थी, लेकिन अब तक उनकी मांगे अनसुनी हैं।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन रहेगा जारी, 28 अक्तूबर से काम का बहिष्कार
एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि 25 अक्तूबर तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। इस दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी और इसके क्षेत्रीय केंद्रों में कर्मचारी काले बैज पहनकर अपनी नाराजगी जताएंगे। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 28 अक्तूबर से लैब के कार्य का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मोहन सिंह ने कहा कि यह निर्णय सभी कर्मचारियों की सर्वसम्मति से लिया गया है।
प्रदर्शन की मुख्य मांगे
एसोसिएशन ने अपनी प्रमुख मांगों को रेखांकित करते हुए कहा कि 7/14/21 के ढांचे के अंतर्गत कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों और भत्तों में संशोधन की मांग की जा रही है। इन मांगों को लेकर पिछले कई वर्षों से विभिन्न समितियों द्वारा सिफारिशें की जा चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों को जल्द से जल्द स्वीकार नहीं किया, तो उन्हें मजबूरन कठोर कदम उठाने होंगे। कर्मचारी संघ का कहना है कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन उनकी मांगों को अनदेखा किया जाना कर्मचारियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
विश्वविद्यालय प्रशासन से आह्वान
एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि उनकी मांगों पर तुरंत विचार किया जाए और उन्हें वित्त बोर्ड की मंजूरी दिलवाई जाए। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि विश्वविद्यालय में कार्यक्षमता भी बेहतर होगी।
Edited By: Khushi Aggarwal