साल 2024 चंडीगढ़ पीजीआई हड़तालों की चपेट में, मरीजों का इलाज अधर में
पीजीआई चंडीगढ़ बना हड़तालों का गढ़, भगवन के घर में इलाज को तरस रहे मरीज, हड़तालों ने बिगाड़ा पीजीआई का माहौल, इलाज के लिए भटक रहे मरीज
पीजीआई चंडीगढ़ में 2024 में लगातार हो रही हड़तालों ने अस्पताल की सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
चंडीगढ़(राहुल तिवारी): देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) चंडीगढ़, वर्ष 2024 में बार-बार हो रही हड़तालों के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। इस प्रतिष्ठित संस्थान में पांच प्रमुख हड़तालें हो चुकी हैं, जिससे अस्पताल की सामान्य कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा उन मरीजों को उठाना पड़ा, जो यहां इलाज के लिए आते हैं।
2024 की हड़तालों का सिलसिला
1. 20 जनवरी, 2024:
विभिन्न कर्मचारी यूनियनों द्वारा की गई हड़ताल ने अस्पताल के संचालन को प्रभावित किया।
2. 3-4 अप्रैल, 2024:
दो दिवसीय हड़ताल में अस्पताल के कई कर्मचारी शामिल हुए, जिससे सेवाओं में बड़ा व्यवधान आया।
3. 11 जून, 2024:
अस्पताल के कर्मचारियों ने एक और हड़ताल की, जो काम की स्थितियों और वेतन को लेकर थी।
4. अगस्त 2024:
रेजिडेंट डॉक्टर और आउटसोर्स कर्मचारी एक साथ हड़ताल पर चले गए, जिससे अस्पताल की सेवाएं ठप हो गईं।
5. 15 अक्टूबर, 2024:
रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल के अपने समकक्षों के साथ एकजुटता दिखाते हुए भूख हड़ताल की। अनुबंध कर्मचारियों की वेतन और बकाया भुगतान की मांग के समर्थन में यह हड़ताल आयोजित की गई थी।
हड़तालों का प्रभाव
इन हड़तालों का सीधा असर अस्पताल के संचालन और मरीजों की देखभाल पर पड़ा है। हर हड़ताल के दौरान बाह्य रोगी सेवाएं (ओपीडी) बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, और कई सर्जरी स्थगित कर दी गई हैं।
• अनुबंध कर्मचारियों की हड़ताल (अक्टूबर 2024):
इस हड़ताल में 1600 से अधिक अनुबंधकर्मियों ने वेतन में बढ़ोतरी और बकाया भुगतान की मांग को लेकर काम बंद कर दिया है। पिछले तीन दिनों से जारी इस हड़ताल के कारण नए मरीजों के लिए ओपीडी में कार्ड तक नहीं बन पा रहे हैं। यह स्थिति हजारों मरीजों के लिए चिंताजनक है, जो दूर-दराज़ से इलाज के लिए पीजीआई आते हैं।
• रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल (अक्टूबर 2024):
रेजिडेंट डॉक्टर भी अनुबंध कर्मचारियों की हड़ताल में शामिल हो गए हैं। इससे अस्पताल की सेवाएं और अधिक बाधित हो गई हैं। डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण न केवल ओपीडी सेवाएं ठप हो गईं, बल्कि गंभीर सर्जरी भी स्थगित कर दी गई हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में यह व्यवधान मरीजों के लिए बेहद तकलीफदेह साबित हो रहा है।
मरीजों को हो रही समस्याएँ
पीजीआई चंडीगढ़ की हड़तालों ने मरीजों को बेहद मुश्किल हालात में डाल दिया है। हड़तालों के दौरान मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, और कई लोग बिना इलाज के लौटने को मजबूर हुए।
• ओपीडी सेवाओं में गिरावट:
हड़तालों के चलते ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी गिरावट आई है। सामान्य दिनों में जहाँ एक सप्ताह में लगभग 54,559 मरीज ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाते थे, हड़ताल के दौरान यह संख्या घटकर मात्र 39,333 रह गई।
• सर्जरी में कमी:
अस्पताल में सामान्य दिनों में एक दिन में 400 से 450 सर्जरी होती हैं, लेकिन हड़ताल के कारण यह संख्या घटकर 181 रह गई। कई गंभीर मरीज, जिनकी सर्जरी पहले से निर्धारित थी, उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है या वे अन्य अस्पतालों में जाने को मजबूर हो रहे हैं।
मरीजों का विकल्प
हड़ताल के चलते पीजीआई के मरीजों को इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ा।
• अन्य सरकारी अस्पतालों में शिफ्ट:
चंडीगढ़ प्रशासन ने स्थानीय अस्पतालों को पीजीआई के मरीजों को रेफर न करने की अपील की, लेकिन ओपीडी सेवाओं के ठप होने से कई मरीज सरकारी अस्पताल जैसे सेक्टर 32 के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ओर रुख करने लगे।
• प्राइवेट अस्पतालों में भीड़:
सरकारी सेवाओं के ठप होने से मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जाने लगे। इससे प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई, जिससे वहाँ भी सुविधाएँ दबाव में आ गईं।
• इमरजेंसी सेवाएँ:
हालांकि, कुछ इमरजेंसी सेवाएँ चालू रहीं, लेकिन सामान्य ओपीडी और सर्जरी सेवाएँ पूरी तरह से ठप रहीं। आपातकालीन मामलों में मरीजों को सीमित इलाज ही उपलब्ध हो सका।
हड़ताल के बाद की स्थिति
हालिया हड़तालें खत्म होने के बाद, रेजिडेंट डॉक्टरों और प्रशासन के बीच कई महत्वपूर्ण घटनाएँ सामने आईं।
• हड़ताल का अंत:
अगस्त 2024 में 11 दिनों तक चली रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुई। इसके बाद, डॉक्टरों ने 15 अक्टूबर, 2024 को भी अपनी हड़ताल समाप्त की।
• ओपीडी सेवाओं की बहाली:
डॉक्टरों ने शुक्रवार से ओपीडी सेवाओं को फिर से शुरू करने का ऐलान किया, जिससे मरीजों को राहत मिली। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि वे सांकेतिक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
• प्रशासनिक प्रयास:
अस्पताल प्रशासन ने हड़ताली कर्मचारियों से बातचीत की कोशिशें जारी रखीं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। पीजीआई के निदेशक ने कहा कि मरीजों की देखभाल उनकी प्राथमिकता है और प्रशासन इसका समाधान निकालने के लिए प्रयासरत है।