पीजीआई की हड़ताल समाप्त करने का हाईकोर्ट का आदेश, आवश्यक सेवाओं की सुरक्षा पर जोर
चंडीगढ़ प्रशासन को 1947 के पंजाब आवश्यक सेवाएं (रखरखाव) अधिनियम के तहत कार्रवाई का अधिकार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पीजीआई में चल रही आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल को खत्म करने का आदेश दिया, अन्यथा चंडीगढ़ प्रशासन को बलपूर्वक कार्रवाई करने की अनुमति दी।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश शील नागू की बेंच ने 10 अक्टूबर से चल रही पीजीआई के आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी इस आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो चंडीगढ़ प्रशासन, पीजीआई और पुलिस को 1947 के 'पंजाब आवश्यक सेवाएं (रखरखाव) अधिनियम' के तहत बलपूर्वक कार्रवाई करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। कोर्ट ने पीजीआई प्रशासन को यह भी निर्देश दिया कि वे अपने और ठेकेदार के बीच हुए समझौते के अनुसार सभी आवश्यक कदम उठाएं।
हाईकोर्ट ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल के कारण पीजीआई का पूरा कामकाज प्रभावित हो गया है। अस्पताल की सफाई व्यवस्था और मरीजों की देखभाल बुरी तरह बाधित हो रही है, जिससे सामान्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति निजी ठेकेदारों के माध्यम से हुई है, और इसलिए उन्हें संवैधानिक रूप से हड़ताल का अधिकार नहीं है।
पीजीआई प्रशासन ने अदालत को बताया कि हड़ताल के कारण अस्पताल के भीतर कूड़े और बायोवेस्ट के ढेर लग गए हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आउटसोर्स कर्मियों की यूनियन ने कहा कि कुछ सेवा मुद्दों को हल नहीं किया गया, जिसके कारण यह हड़ताल की गई है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अस्पताल की सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।