सेवामुक्त होने की तारीख से मिले पेंशन का लाभ: हाईकोर्ट
पूर्व सैनिक को मिलेगा पेंशन का लाभ कोर्ट के आदेश की तारीख से नहीं, सेवा मुक्त होने की तारीख से
By: Khushi Aggarwal
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हाईकोर्ट ने पेंशन का लाभ सेवामुक्ति की तारीख से देने का आदेश दिया, जो पूर्व सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि पेंशन का लाभ किसी कोर्ट के आदेश की तारीख से नहीं, बल्कि सेवा मुक्त होने की तारीख से मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह आदेश भारतीय सेना के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें याचिकाकर्ता ने ऑर्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (ए.एफ.टी.) के आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने ए.एफ.टी. के फैसले में बदलाव की मांग की थी, क्योंकि ए.एफ.टी. ने पेंशन का लाभ देने की तारीख को कोर्ट के आदेश से लागू करने का निर्देश दिया था, जबकि याचिकाकर्ता ने इसे सेवा मुक्त होने की तारीख से लागू करने की अपील की थी।
मामला
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया कि उसने 1986 में भारतीय सेना में अपनी सेवा की शुरुआत की थी और 2003 तक नियमित रूप से सेवा दी। इस दौरान उसे कुछ छुट्टियां मंजूर की गईं, लेकिन छुट्टी से अधिक समय तक अनुपस्थित रहने के कारण उसे सेवा से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी निष्कासन के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (ए.एफ.टी.) में अपील की, जहां ट्रिब्यूनल ने कुछ नियमों और शर्तों के आधार पर उसके निष्कासन को रद्द कर दिया और उसे सेवा मुक्त होने की श्रेणी में दर्ज किया।
पेंशन का मामला
याचिकाकर्ता का दावा था कि उसने पेंशन के लिए आवश्यक सेवा अवधि पूरी कर ली थी, इसलिए उसने 2013 में पेंशन के लिए आवेदन किया। लेकिन संबंधित विभाग ने उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया। इसके बाद उसने फिर से ए.एफ.टी. का दरवाजा खटखटाया, जहां ट्रिब्यूनल ने 2019 में पेंशन लाभ देने का आदेश दिया। हालांकि, ए.एफ.टी. ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि पेंशन का लाभ कोर्ट के आदेश की तारीख से मिलेगा, जो 2019 थी।
हाईकोर्ट का निर्णय
इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें उसने तर्क दिया कि चूंकि उसे 2013 में सेवा मुक्त श्रेणी में दर्ज किया गया था, इसलिए पेंशन का लाभ भी उसी समय से मिलना चाहिए, न कि 2019 से, जैसा कि ए.एफ.टी. ने निर्देशित किया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि पेंशन का लाभ किसी कोर्ट के आदेश की तारीख से नहीं, बल्कि उस तारीख से मिलना चाहिए, जब याचिकाकर्ता को सेवा मुक्त किया गया था।
एक मिसाल साबित होगा
हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल इस मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में है, बल्कि यह उन अन्य मामलों के लिए भी एक मिसाल साबित हो सकता है, जहां पूर्व कर्मचारियों को पेंशन संबंधी लाभ कोर्ट के आदेश से देने का निर्देश दिया गया हो। कोर्ट ने साफ किया कि पेंशन का लाभ सेवामुक्ति के समय से ही मिलना चाहिए, ताकि रिटायर हुए कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित न किया जा सके।
Edited By: Khushi Aggarwal