बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की भारत के प्रति झुकाव की रणनीति
बांग्लादेश सरकार का भारत के खिलाफ बयानबाजी के बावजूद पीएम मोदी से मुलाकात का प्रयास
शेख हसीना की सरकार के जाने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत से अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रही है, जबकि स्थानीय लोगों के भारत विरोधी भावनाओं को भी संबोधित कर रही है।
नई दिल्ली: शेख हसीना की सरकार के जाने के बाद इस वक्त बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार काम कर रही है। पिछले करीब दो महीने से ये सरकार स्थानीय लोगों के भारत विरोधी सेंटीमेंट को एड्रेस करने के लिए लगातार भारत सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रही है। हालांकि बांग्लादेश को यह अच्छे से पता है कि वो तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है। भारत को नाराज करके वो इस रीजन में फल-फूल नहीं सकता। यही वजह है कि वो ऊपर से खुद को सख्त दिखाने के बावजूद बैकडोर से पीएम मोदी को मनाने में लगा हुआ है।
पिछले महीने जब पीएम मोदी UN में अपनी स्पीच के लिए अमेरिका में थे, तब यूनुस प्रशासन ने उनसे मिलने की सभी जुगत लगाई, लेकिन बात नहीं बनीं। ऐसा दावा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि बांग्लादेश के विदेश सलाहकार की तरफ से अब यह बात बताई जा रही है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि न्यूयॉर्क में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनकी मुलाकात हुई थी, लेकिन वो पीएम मोदी और डॉ यूनुस की मुलाकात आयोजित नहीं कर पाए।
दरअसल, तब जिस दिन पीएम मोदी यूएन में अपना भाषण देकर वापसी के लिए उड़ान भर रहे थे, तभी बांग्लादेश की सरकार के चीफ यूएन पहुंचे थे। अंतरिम सरकार ने भारतीय विदेश मंत्री के जरिए मुलाकात का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बन पाई। अगर वो चंद घंटे पहले न्यूयॉर्क पहुंच जाते तो विदेश मंत्री उनकी पीएम मोदी से मुलाकात कराने का प्रयास कर सकते थे।
तौहीद हुसैन ने संकेत दिया कि अगले महीने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी कोई औपचारिक शेड्यूल तय नहीं हुआ है। फिलहाल हम विभिन्न स्तरों पर बातचीत के माध्यम से एक दूसरे देशों की आपसी चिंताओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना की सरकार जाने के बाद भारत ने बांग्लादेश में स्पॉन्सर्ड अपने सभी प्रोजेक्ट पर काम को रोक दिया था।
दोनों देशों के बीच ट्रेड फिर से चालू कर दिया गया लेकिन ये प्राजेक्ट अभी भी रुके हुए हैं। बांग्लादेश की आंतरिक सरकार के फाइनेंस एडवाइजर ने पिछले महीने एक सेमीनार के दौरान भारत से ज्यादा से ज्यादा उनके देश में निवेश का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि भारत के कई प्रोजेक्ट इस वक्त बांग्लादेश में चल रहे हैं लेकिन यह हमारे लिए काफी नहीं है। हमें भारत से और अधिक निवेश की दरकार है। ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि भारत को लेकर बांग्लादेश की स्थिति हाथी के दांत जैसी है, जो खाने के लिए कुछ और व दिखाने के लिए कुछ और हैं।