पीजीआई में अटेंडेंट्स की हड़ताल का पांचवां दिन, मरीजों को भारी परेशानी
नए मरीजों के कार्ड न बनने से इलाज के लिए आए लोग लौटने पर मजबूर
पीजीआई में अटेंडेंट की हड़ताल के चलते न्यू ओपीडी में मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर नए मरीज इलाज के बिना लौट रहे हैं।
चंडीगढ़ (हिमांशु शर्मा): पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) में हॉस्पिटल अटेंडेंट की हड़ताल आज पांचवें दिन भी जारी रही, जिससे न्यू ओपीडी में आए मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। खासतौर पर, नए मरीजों के लिए कार्ड न बनाए जाने के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है, जिससे कई लोग बिना इलाज के ही लौटने पर मजबूर हो गए।
दूर-दराज के राज्यों से आए मरीजों को सबसे अधिक परेशानी
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों से पीजीआई में इलाज के लिए आए मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जब उन्हें पता चला कि नए मरीजों के कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं, तो कई मरीजों को बिना इलाज के निराश होकर वापस लौटना पड़ा। हालांकि, पुराने मरीजों का इलाज जारी रखा गया है, लेकिन नए मरीज इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
एमएस प्रो. विपिन कौशल का बयान
हड़ताल की वजह से पैदा हुई समस्या पर पीजीआई के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (एमएस) प्रो. विपिन कौशल ने कहा कि हड़ताल कब तक खत्म होगी, इसका कोई अनुमान फिलहाल नहीं लगाया जा सकता। अस्पताल प्रशासन और हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के बीच वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
हड़ताल के कारण और मुद्दे
हॉस्पिटल अटेंडेंट की यह हड़ताल उनके वेतन और अन्य मांगों को लेकर हो रही है। कर्मचारियों की मांगें पूरी न होने के कारण यह हड़ताल लगातार जारी है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन इस मुद्दे को सुलझाने के प्रयास में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है।
मरीजों की बढ़ती समस्याएं
इस हड़ताल के कारण खासकर नए मरीजों के लिए कार्ड न बनाए जाने से मरीजों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले मरीज, जिन्हें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है, इस हड़ताल से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। मरीजों की लगातार बढ़ती परेशानियों के बीच अस्पताल प्रशासन पर जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालने का दबाव बढ़ रहा है। फिलहाल यह देखना बाकी है कि इस हड़ताल का असर कब तक जारी रहेगा, लेकिन मरीजों की बढ़ती दिक्कतों के मद्देनजर अस्पताल प्रशासन को जल्द से जल्द हल निकालने की जरूरत है।