पीजीआई ईलाज करवाने गई 28 वीक की गर्भवति महिला का विदाउट सीट बेल्ट का काट दिया चालान

कोर्ट ने चालान कैंसिल कर कहा थोड़ी इंसानियत भी रदखे पुलिस

पीजीआई ईलाज करवाने गई 28 वीक की गर्भवति महिला का विदाउट सीट बेल्ट  का काट दिया चालान

पंजाब पुलिस ने राजस्थान के सुभाष उर्फ सोहू की हत्या के मामले में तीन हथियार सप्लायरों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स और एसएएस नगर पुलिस का संयुक्त अभियान शामिल है।

भरत अग्रवाल ,चंडीगढ़ दिनभर

चंडीगढ: चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस ने पीजीआई इलाज करवाने जा रही महिला का विदाउट सीट बेल्ट का चालान काटा है। कार उनका पति चला रहा था,जिन्होंने सीट बेल्ट पहन रखी थी। जबकि गर्भवति पत्नी को सीट बेल्ट नहीं पहनाई थी। पुलिस को उन्होंने इलाज का बताया,लेकिन उन्होंने कुछ न सुनी। अब जिला अदालत ने पुलिस को आदेश दिया है कि चालान को तुरंत डिस्पोज किया जाए। साथ ही नसीहत भी दी है कि यूटी पुलिस को कुछ इंसानियत भी रखनी चाहिए। यह मामला मोहाली निवासी बलजीत सिंह मरवाहा की पत्नी का है। जिन्होंने जिला अदालत में इस चालान व यूटी पुलिस के खिलाफ याचिका दायर की थी।

12 जून को, बलजीत अपनी 28 सप्ताह की गर्भवती पत्नी को पीजीआई में चेक-अप के लिए ले जा रहे थे। रास्ते में, कांस्टेबल अनिल कुमार ने उन्हें रोक लिया और पत्नी के सीट बेल्ट न पहनने पर चालान काटने की बात कहीं। बलजीत ने कांस्टेबल को बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती हैं और सीट बेल्ट नहीं लगा सकतीं, लेकिन कांस्टेबल ने उनकी बात को अनसुना करते हुए चालान काटने पर अड़ गए। बलजीत ने कहा कि जब उन्होंने कांस्टेबल को मेडिकल रिपोर्ट दिखाई और चालान न काटने का अनुरोध किया, तो कांस्टेबल ने न केवल उनकी बात नहीं मानी, बल्कि उनके साथ दुव्यवहार भी किया। बलजीत के अनुसार, कांस्टेबल ने अपशब्द कहे और उन्हें अपमानित किया, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इस घटना के बाद, बलजीत ने 1 जुलाई को एएसआई रजींदर सिंह और कांस्टेबल अनिल कुमार के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने उल्लेख किया कि उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार और हरासमेंट का सामना करना पड़ा। लेकिन, पुलिस प्रशासन ने उनकी शिकायत पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप बलजीत को अदालत का सहारा लेने की आवश्यकता पड़ी। जिला अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की। अदालत ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। अदालत ने आदेश दिया कि चालान को निरस्त किया जाए। इस घटना ने न केवल बलजीत और उनकी पत्नी को परेशान किया, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि क्या ट्रैफिक पुलिस का व्यवहार महिलाओं और विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के प्रति संवेदनशील है। अदालत के फैसले ने इस बात की पुष्टि की है कि कानून का पालन करते समय मानवीयता और संवेदनशीलता भी महत्वपूर्ण है।

मोहाली निवासी बलजीत सिंह मरवाहा ने गर्भवती पत्नी के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे गए चालान के खिलाफ खुद की पैरवी करते हुए अदालत में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस पर अपशब्द कहने और अपमानित करने का आरोप लगाया था। बलजीत ने खुद ही अदालत में अपनी बात रखी और न्यायाधीश के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता है और इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया। अदालत ने उनकी दलीलों को गंभीरता से सुना और अंतत: चालान को निरस्त करने का आदेश दिया।

 
 
Edited By: Khushi Aggarwal

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