हिमाचल प्रदेश में रोपवे नेटवर्क का विस्तार: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल
शिमला के जाखू रोपवे में आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए सुरक्षा अभ्यास आयोजित
हिमाचल प्रदेश में बढ़ते रोपवे नेटवर्क के बीच शिमला के जाखू रोपवे में मॉक ड्रिल के माध्यम से सुरक्षा मानकों की परीक्षा ली गई, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और होमगार्ड की टीमें शामिल रहीं।
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने और यातायात के एक वैकल्पिक साधन के रूप में रोपवे का जाल तेजी से फैल रहा है। प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे शिमला, धर्मशाला, नैना देवी और परवाणु में पहले ही रोपवे स्थापित किए जा चुके हैं। आने वाले वर्षों में शिमला में दुनिया का दूसरा सबसे लंबा और भारत का सबसे लंबा रोपवे बनने जा रहा है, जबकि अन्य स्थानों पर भी नए रोपवे प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। इस बढ़ते रोपवे नेटवर्क के साथ ही लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसकी सुरक्षा के लिए शिमला के जाखू रोपवे में एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) और होमगार्ड की टीमें शामिल थीं। शिमला की एडीएम ज्योति राणा ने बताया कि यह सभी जवान आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और किसी भी अनहोनी स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकालने में सक्षम हैं।
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में समय-समय पर मॉक ड्रिल आयोजित की जाती हैं, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड, पुलिस और अग्निशमन विभाग के जवान भाग लेते हैं। इन ड्रिलों का मुख्य उद्देश्य आपात स्थितियों में सुरक्षा सुनिश्चित करना और जवानों को प्रशिक्षित करना होता है। इसके अलावा, स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थानों के छात्रों को भी आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे भी आपात स्थिति में सुरक्षित रहें और उचित कदम उठा सकें।
शिमला में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित इस मॉक ड्रिल में जवानों ने रोपवे में फंसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया। इस प्रकार के अभ्यास प्रशासन की तैयारियों को परखने और आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
हिमाचल प्रदेश में रोपवे परियोजनाएं न केवल पर्यटन को बढ़ावा देंगी बल्कि लोगों के लिए तेज और सुविधाजनक परिवहन का साधन भी साबित होंगी। लेकिन, इसके साथ ही रोपवे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा मानकों का पालन और उन्हें सुदृढ़ बनाना अत्यंत आवश्यक है।
इस तरह के मॉक ड्रिल और सुरक्षा अभ्यास यह सुनिश्चित करते हैं कि भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। हिमाचल प्रदेश का रोपवे नेटवर्क भविष्य में न केवल यातायात के एक प्रमुख साधन के रूप में उभरेगा, बल्कि सुरक्षित और संरक्षित भी रहेगा।