चंडीगढ़ में मौसम पैटर्न में बड़ा बदलाव, सितंबर 2024 में कम बारिश से बढ़ी चिंता

पिछले 20 वर्षों में सितंबर माह में मौसम में उतार-चढ़ाव: विशेषज्ञों ने जताई चिंता

चंडीगढ़ में मौसम पैटर्न में बड़ा बदलाव, सितंबर 2024 में कम बारिश से बढ़ी चिंता

चंडीगढ़ में सितंबर माह के मौसम पैटर्न में पिछले 20 वर्षों में उल्लेखनीय बदलाव आए हैं, जो जलवायु परिवर्तन के संकेत के रूप में देखे जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कम बारिश और अस्थिर मौसम से कृषि और जल संसाधनों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

चंडीगढ़(हिमांशु शर्मा): मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट ने पिछले 20 वर्षों में सितंबर माह के मौसम पैटर्न में उल्लेखनीय बदलावों को उजागर किया है। चंडीगढ़, जहां परंपरागत रूप से सितंबर का महीना गर्म और वर्षा से भरपूर रहता था, अब मौसम में अस्थिरता और बारिश के पैटर्न में असामान्य बदलाव देखे जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत हो सकता है, जिसका व्यापक असर क्षेत्र की कृषि, जल संसाधनों और सामान्य जीवन पर पड़ सकता है।

पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों में गिरावट
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, चंडीगढ़ में सितंबर माह का औसत तापमान 21°C से 33°C के बीच रहता है और लगभग 9 दिनों तक बारिश होती है। परंपरागत रूप से, सितंबर में औसतन 231 मिमी वर्षा दर्ज की जाती थी। लेकिन पिछले 20 वर्षों में मौसम का यह पैटर्न धीरे-धीरे अस्थिर हो गया है। वर्षा की मात्रा में बड़ा उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो इस साल और भी स्पष्ट हो गया है।

2024 में, 19 सितंबर तक चंडीगढ़ में केवल 34.2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 36% कम है। इस अवधि में सामान्यतः 53.8 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल बारिश का यह आंकड़ा बहुत कम रहा है। यह जलवायु परिवर्तन का एक चिंताजनक संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो क्षेत्र में जल संकट की समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

2023 से तुलना: पिछले साल ज्यादा बारिश, इस साल सूखा
2023 में सितंबर माह में चंडीगढ़ में बारिश की स्थिति बिल्कुल उलट थी। उस साल 13 सितंबर तक 1099.1 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो सामान्य से 36% अधिक थी। इस तरह के भारी उतार-चढ़ाव से साफ है कि मौसम पैटर्न में अप्रत्याशित बदलाव हो रहे हैं। 2023 में जहां बारिश की अधिकता से निचले इलाकों में बाढ़ और जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, वहीं 2024 में अत्यधिक कम बारिश से सूखे जैसी स्थिति पैदा हो रही है।

मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पिछले 20 वर्षों में हमने सितंबर माह में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कुछ वर्षों में अत्यधिक बारिश हुई, जबकि कुछ में सूखे जैसी स्थिति रही। यह जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है।" उन्होंने आगे बताया कि मौसम के ये अप्रत्याशित बदलाव स्थानीय स्तर पर जलवायु के प्रति गंभीर चिंता उत्पन्न कर रहे हैं, जिनका समाधान जल्द खोजना आवश्यक है।

सितंबर 2024 में बारिश की चेतावनी, पर असर कम
हालांकि, सितंबर 2024 में भी मौसम विभाग ने 15 से 17 सितंबर के बीच गरज के साथ बारिश की चेतावनी जारी की थी। इससे उम्मीद की जा रही थी कि तापमान में गिरावट आएगी और बारिश के साथ राहत मिलेगी। लेकिन वास्तविकता में, बारिश का स्तर अपेक्षाओं से काफी कम रहा। इस कम बारिश ने क्षेत्र के किसानों और नागरिकों के लिए चिंता बढ़ा दी है, जो मानसून के भरोसे अपने जीवन और फसलों को संवारते हैं।

कृषि और जल संसाधनों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इन मौसमी बदलावों का स्थानीय कृषि और जल संसाधनों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। कम बारिश के चलते न केवल फसलों की उपज प्रभावित होगी, बल्कि जल संसाधनों की कमी भी उत्पन्न हो सकती है। इससे निचले क्षेत्रों में पानी का संकट और गहराता जा रहा है। जल संरक्षण और कुशल जल प्रबंधन की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। विशेषज्ञों ने नागरिकों से जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने की अपील की है।

भविष्य के लिए चेतावनी
मौसम विभाग ने भविष्य के लिए चेतावनी जारी की है कि आने वाले वर्षों में और भी अधिक अनियमित मौसम पैटर्न देखने को मिल सकते हैं। विभाग के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसमी अस्थिरता बढ़ने की संभावना है। नीति निर्माताओं और आम नागरिकों को इन परिवर्तनों के लिए तैयार रहने और समय रहते आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है।

मौसम विभाग के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों को संशोधित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए नागरिकों और नीति निर्माताओं को साथ मिलकर काम करना होगा।

 
 
Edited By: Rahul Tiwari

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