किडनैपिंग से खतरनाक है बच्चों की डिजिटल अरेस्ट

देशभर में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों में ‘डिजिटल अरेस्ट’ ने किया सबको हैरान

किडनैपिंग से खतरनाक है बच्चों की डिजिटल अरेस्ट

इस नयी साइबर ठगी में, ठग परिवारों को मानसिक रूप से झकझोर देते हैं जिससे बच्चे की सुरक्षा के नाम पर मांगी गई रकम भी तुरंत दे देते हैं परिजन 

विनोद राणा, चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़: साइबर क्राइम ने देशभर में तेजी से अपने पांव पसारे हैं। पहले साइबर ठग ऑनलाइन ठगी जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे, लेकिन अब उन्होंने एक नया खतरनाक तरीका अपनाया है, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है। यह अपराध बच्चों की किडनैपिंग से भी अधिक खतरनाक है। इस नई साइबर ठगी में, ठग परिवारों को मानसिक रूप से झकझोर देते हैं और उन्हें इतना डरा देते हैं कि बच्चे की सुरक्षा के नाम पर मांगी गई रकम भी तुरंत दे देते हैं।
 
डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़े
 
देशभर में साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के बीच ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। इसमें साइबर ठग पुलिसकर्मी या किसी जांच एजेंसी के अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और उन्हें घर बैठे ही कैमरे की निगरानी में ‘डिजिटली गिरफ्तार’ कर लेते हैं। ये ठग पीड़ित को झूठे आरोपों में फंसाने का डर दिखाते हैं। मसलन, किसी केस में यह कहा जाता है कि उनके नाम से किसी अन्य देश में ड्रग पार्सल जा रहा था।
 
गैंगस्टर या अन्य अपराधी से जोड़कर धमकाते हैं
 
ऐसे मामलों में साइबर ठग कस्टम अधिकारी बनकर सामने आते हैं। कई बार वे व्यक्ति को किसी गैंगस्टर या अन्य अपराधी से जोड़कर धमकाते हैं और फिरौती वसूल लेते हैं। ठगों का कहना होता है कि व्यक्ति का आधार कार्ड, पैन कार्ड या मोबाइल नंबर संदिग्ध है। वे व्हाट्सएप पर पुलिस वर्दी में अपनी फोटो लगाकर पीड़ित को भरोसा दिलाते हैं। पूछताछ के नाम पर बैंक डिटेल्स मांगी जाती हैं और उन्हें मोटी रकम ट्रांसफर करने को कहा जाता है, यह दावा करते हुए कि अगर वे निर्दोष साबित होते हैं तो पैसा लौटा दिया जाएगा।
 
चंडीगढ़ में कई मामले दर्ज
 
ऐसे ठगी के कई मामले चंडीगढ़ साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज हो चुके हैं। ठग पीड़ित को कुछ घंटों के लिए घर में एक कमरे में बंद रहने को कहते हैं ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें। एक बार ठगी के बाद ठग फिर संपर्क नहीं करते।
 
साइबर एक्सपर्ट की सलाह
 
  • साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
 
  • साइबर फ्रॉड को लेकर जागरूकता जरूरी है।
 
  • पुलिस कभी व्हाट्सएप से कॉल नहीं करती, वह सीधे गिरफ्तारी करती है।
 
  • किसी पार्सल पर आधार कार्ड नहीं होता, यह सिर्फ डराने का तरीका है।
 
  • यदि कोई गिरफ्तारी का डर दिखाकर धमकाए, तो समझें कि ऐसी कॉल कभी सच नहीं होती।
 
  • ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं, कॉल काटें और फोन बंद कर विशेषज्ञ से सलाह लें।
 
  • कॉल करने वाले से लैंडलाइन नंबर से संपर्क करने को कहें और थाने का पता पूछकर कंफर्म करें।
 
  • कभी भी अपनी संवेदनशील जानकारी या पैसे ठगों को न दें।
 
 
डिजिटल अरेस्ट में ठग कैसे बदलते हैं आवाज, जानिए पूरी सच्चाई 
 
पिच और टोन एडजस्टमेंट:
ठग सबसे पहले व्यक्ति की वास्तविक आवाज को रिकॉर्ड करते हैं और फिर सॉफ्टवेयर की मदद से उसकी पिच और टोन को एडजस्ट करते हैं। बच्चों की आवाज को प्राकृतिक बनाने के लिए पिच को ऊंचा किया जाता है और वॉयस को हल्का और मासूम बनाया जाता है।
 
वॉयस सैंपलिंग और एनालिसिस:
कुछ ठग पहले से बच्चों की आवाज के सैंपल कलेक्ट करते हैं और उन्हें एनालाइज करके यह समझते हैं कि किस प्रकार की वॉयस मॉड्यूलेशन करनी है। इसके बाद, सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके उसी प्रकार की आवाज बनाई जाती है।
 
बैकग्राउंड नॉइज़ और इफेक्ट्स:
कई बार ठग सिर्फ आवाज ही नहीं, बल्कि उसके साथ बैकग्राउंड साउंड्स और इफेक्ट्स का भी इस्तेमाल करते हैं, ताकि वह ज्यादा असली लगे। जैसे कि बच्चे के रोने की आवाज, या किसी कमरे का शोर, जिससे परिवार को यह लगे कि बच्चा सचमुच किसी खतरे में है।
 
 
डिजिटल अरेस्ट की शिकार महिलाएं और नेता
 
पहला मामला:
पंचकूला की सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को चार दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर उनसे 1.06 करोड़ रुपये ठगे गए। ठग ने खुद को मुंबई पुलिस का एसआई बताकर मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस की जांच के नाम पर उनसे यह रकम ऐंठी।
 
दूसरा मामला:
चंडीगढ़ के आप पार्टी के पार्षद दमनप्रीत सिंह को एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई क्राइम ब्रांच का सब-इंस्पेक्टर बताते हुए कहा कि उनकी बेटी और उसके तीन दोस्त 30 लाख के धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। बेटी को छुड़ाने के लिए 25 हजार रुपये मांग गए।
 
तीसरा मामला:
एक पिता को ठग ने फोन कर बताया कि उसका बेटा लड़कों और लड़कियों के गिरोह सहित पकड़ा गया है। उसे छुड़ाने के लिए 50 हजार रुपये ट्रांसफर करने को कहा गया। पहले तो पिता डर गया, लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो रहा है। उसने तुरंत इसकी शिकायत मोहाली एसएसपी को ईमेल से दी।
 
 
Edited By: Khushi Aggarwal

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