पंजाब यूनिवर्सिटी में 7 तकनीकी पदों की समाप्ति पर गहराया विवाद
स्टाफ ने वीसी से किया पुनर्विचार का अनुरोध
By: Khushi Aggarwal
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विभिन्न विभागों में 7 पद खत्म कर UIET में नए पद सृजन का विरोध, तकनीकी स्टाफ एसोसिएशन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया।
चंडीगढ़ दिनभर
चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी में 7 तकनीकी पदों को समाप्त कर उन्हें विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (UIET) में स्थानांतरित करने के फैसले ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। पंजाब यूनिवर्सिटी लैब एवं टेक्निकल स्टाफ एसोसिएशन (PULTSA) ने इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण और असंवैधानिक करार दिया है। एसोसिएशन ने कुलपति को पत्र लिखकर इस फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करने की मांग की है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष इंदर देव पटियाल और उपाध्यक्ष मोहन सिंह के नेतृत्व में जारी बयान में कहा गया है कि इस फैसले से विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में काम कर रहे तकनीकी कर्मचारियों की पदोन्नति और कार्यशैली प्रभावित होगी। उनका कहना है कि जिन विभागों से पद समाप्त किए गए हैं, वहां पहले से ही कर्मचारियों की कमी है और इन पदों का UIET में सृजन करना, जहां पहले से ही 112 बजटेड पद हैं, अन्य विभागों के प्रति भेदभाव दर्शाता है।
एसोसिएशन ने कहा कि यह निर्णय बिना किसी परामर्श और उचित औचित्य के लिया गया है। विभागों के प्रमुखों और प्रभावित कर्मचारियों से कोई राय नहीं ली गई, जो विश्वविद्यालय के प्रशासन की गलत मंशा को दर्शाता है। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए एक झटका है, जो वर्षों से अपनी पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे थे।
तकनीकी स्टाफ की पदोन्नति पर संकट
PULTSA ने इस मुद्दे पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। एसोसिएशन का कहना है कि जिन विभागों में पद समाप्त किए जा रहे हैं, वहां के तकनीकी स्टाफ लंबे समय से एक ही पद पर कार्यरत हैं और उनकी पदोन्नति पर विचार नहीं किया जा रहा। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि यूआईईटी में नए पद सृजित करने का फैसला वहां के उच्चाधिकारियों द्वारा अपने विभाग को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है, जो एक पक्षपाती नीति को दर्शाता है।
वित्त बोर्ड की मंजूरी के बिना किया गया निर्णय
एसोसिएशन के महासचिव डॉ. अरुण रैना ने बताया कि इस निर्णय को वित्त बोर्ड की मंजूरी के बिना लागू किया गया है। एसोसिएशन ने इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन को पहले भी अवगत कराया था, लेकिन कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। एसोसिएशन ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों पर जल्द से जल्द विचार नहीं किया, तो वे इस मामले को न्यायालय तक ले जाएंगे।
विभागों में ठहराव का खतरा
एसोसिएशन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इन पदों को समाप्त कर दिया गया, तो संबंधित विभागों में कार्य करने की क्षमता और गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, जैव-भौतिकी, सीआईएल, और होशियारपुर के पीयू क्षेत्रीय केंद्र जैसे विभागों में ये पद बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन पदों के समाप्त होने से विभागों के कार्य में ठहराव आ सकता है और छात्रों की प्रयोगशाला संबंधी गतिविधियों में भी रुकावट पैदा हो सकती है।
यूआईईटी के पक्ष में भेदभाव का आरोप
एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि यूआईईटी में पद सृजन के पीछे पक्षपातपूर्ण नीतियों का सहारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि जबकि अन्य विभागों में कर्मचारियों की कमी है, यूआईईटी में पहले से ही पर्याप्त तकनीकी स्टाफ मौजूद है। इसके बावजूद नए पदों का सृजन और अन्य विभागों से पद समाप्त करना अनुचित और भेदभावपूर्ण है।
एसोसिएशन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस फैसले पर तुरंत पुनर्विचार किया जाए और इसे वित्त बोर्ड की मंजूरी के बिना लागू न किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो एसोसिएशन कानूनी विकल्पों पर विचार करेगा।
Edited By: Khushi Aggarwal