ग्माडा टीम

चंडीगढ़ दिनभर – नयागांव
नयागांव और मुल्लांपुर की शिवालिक की पहाडिय़ों के बीच बसे गांव पडच्छ और करोरा के साथ-साथ आसपास के गांवों में चल रहे निर्माण कार्यों को गिराने के लिए गमाडा ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की नियुक्ति बुधवार के लिए करवाई थी।
सूचना मिलते ही इलाके में पूरे दिन दहशत का माहौल रहा। लोगों ने राहत की सांस उस समय ली जब उन्हें पता चला कि बुधवार की कार्रवाई के लिए नियुक्त किए गए ड्यूटी मजिस्ट्रेट ही मौके पर नहीं पहुंचे। इस कारण गमाडा की टीम को भी बिना कार्रवाई किए ही लौटना पड़ा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इलाके में एक जनवरी से 2016 के बाद बने हुए मकान और अभी चल रहे निर्माण कार्यों को गिराने संबंधी एक मामला विचाराधीन है। इसमें हाईकोर्ट की ओर से इन अवैध निर्माण को गिराने के आदेश दिए गए हैं। ऐसा नहीं करने पर गमाडा के आला अधिकारियों पर अदालत की अवमानना का मुकदमा भी दायर किया जा सकता है। यह चेतावनी खुद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से उक्त मामले में पिछली सुनवाई के दौरान दी गई थी।
अब मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है। उससे पहले गमाडा के अधिकारियों की कोशिश है कि इन इलाकों में चल रहे निर्माण कार्यों को गिराकर अदालत में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर दी जाए। अधिकारियों की ओर से बुधवार का समय तय किया गया था। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए डीसी आशिका जैन की ओर से ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस बल तैनात करने के आदेश दिए गए थे लेकिन जिस अधिकारी को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था, वह निजी कारणों की वजह से मौके पर नहीं पहुंच सके। इस कारण इस कार्रवाई को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया।
लोगों ने पंजाब सरकार के खिलाफ अपने आशियाने बचाने के लिये नारेबाजी की। बड़ी करोरा के लोगों को जब सूचना मिली कि गमाडा की टीम भारी पुलिस बल के साथ उनके आशियाने गिराने आ रही है तो यह खबर इलाके में आग की तरह फैल गई। लोग धीरे-धीरे करके सड़क पर जुटना शुरू हो गए। दोपहर करीब ढाई बजे लोगों ने नयागांव से बड़ी करोरा को जाने वाली सड़क को जाम कर दिया। सड़क पर खड़े होकर लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। वहीं जब उन्हें पता चला कि गमाडा की टीम नहीं आ रही है तो उन्होंने सड़क को आवाजाही के लिए खोला।
दो फरवरी को भी गमाडा कर चुका बड़ी कार्रवाई : गमाडा इससे पहले दो फरवरी को इलाके के 25-30 अवैध मकानों को गिराने की कार्रवाई कर चुका है। इस दौरान लोगों ने टीम का काफी विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद टीम ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया था। तभी से इलाके के लोग आशियाने गिरने के खौफ में अपनी रातों की नींद गंवा रहे हैं। उन्हें हर वक्त चिंता सताती रहती है कि कभी भी विभाग बड़ी कार्रवाई करके उनके सिर की छत को छीन सकता है। नगर परिषद की बैठक में परछ, करोरा सहित आसपास के गांवों में नए बने घरों को बचाने के इरादे से पार्षदों ने सदन की बैठक में 16 मार्च को हद बढ़ाने का एक प्रस्ताव पास किया था।
वह अभी सरकार के पास विचाराधीन है। इसी तरह का एक प्रस्ताव 2020 में लाया गया था। जिसे सरकार ने अदालत में मुकदमा होने का तर्क देते हुए रद्द कर दिया था। बता दें कि एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से नयागांव नगर परिषद की हद बढ़ाने का फैसला सुनाया गया था, लेकिन खुद परिषद ने इस फैसले को चुनौती देकर सर्वोच्च न्यायालय से फैसले के खिलाफ स्टे ले रखी है। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।

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