डॉ. तरूण प्रसाद 1

भारतीय संसद के विशेष सत्र के चर्चाओं में एक अनोखा मुद्दा सामने आया है, जसमे देश के नाम को लेकर एक नई बहस की शुरुआत की है. संसद के इस विशेष सत्र के दौरान, क्या देश का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, इस पर चर्चाएँ ही चर्चाओं के बाजार में हैं.

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन, बीते हफ्ते में विपक्षी दलों और सरकार के बीच जोरदार बहस हुई, वहीं एक नया मुद्दा उठ गया है – देश के नाम का परिवर्तन।

संसद के इस विशेष सत्र के दौरान, केंद्र सरकार द्वारा देश के नाम को ‘भारत’ से ‘इंडिया’ में बदलने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। इस प्रस्ताव के तहत, देश का नाम सार्वजनिक और सार्वभौमिक रूप से ‘भारत’ ही होगा। जल्द ही, देश को ‘इंडिया’ या ‘इंडिया’ कहने की बात हो सकती है।

इस प्रस्ताव को लेकर, नए बने I.N.D.I.A. गठबंधन के सदस्यों ने इसे बड़ा झटका साबित होने की संभावना दिखाई है, जबकि वे खुद को देशहित के पर्याय मानते हैं और अपने गठबंधन का नाम देश की इस इंग्लिश वर्तनी पर रखा था, ताकि उसे जब I.N.D.I.A. पुकारा जाए तो यह देश की आवाज़ लगे।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर आलोचना की है और बताया कि राष्ट्रपति भवन ने G20 रात्रिभोज के लिए निमंत्रण पत्र में ‘भारत के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है।

इस नए नाम को लेकर, विपक्षी नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी अपनी चिंता जाहिर की है और प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों को डरा हुआ बताया।

सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया, “मोदी और उनके मंत्री भारत से इसी तरह परेशान हैं. वे बहुत डरे हुए हैं.”

इसी तरह कई सांसदों और सामाजिक दलों ने इस नए नाम के प्रस्ताव का समर्थन किया है, जबकि दूसरे द्वारा इसे बेहद विवादास्पद माना जा रहा है।G20 के ठीक बाद केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस एक लाइन ने बीते एक हफ्ते से सियासी हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर रखा है. संसद के विशेष सत्र में क्या होगा, इसकी अभी तक सिर्फ अटकलें ही हैं, लेकिन मंगलवार को एक और नई बात सामने आ गई. जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, कहा जाने लगा है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार, देश के नाम बदले जाने (India से भारत किए जाने) का प्रस्ताव रख सकती है.

नाम बदला जाता है को इसके तहत अब देश का नाम सार्वजनिक और सार्वभौमिक रूप से भारत ही होगा. जल्द ही देश को INDIA, इंडिया कहा जाना बीते जमाने की बात हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह अभी-अभी नए बने I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित होगा, जिसने खुद से खुद को देशहित का पर्याय मानते हुए अपने गठबंधन का नाम देश की इस इंग्लिश वर्तनी पर रख लिया था, ताकि उसे जब I.N.D.I.A. पुकारा जाए तो यह देश की आवाज लगे.

खैर, किसके मन में क्या है, इसका उजागर होना तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन ये नाम बदलने वाली भावना को बल कहां से मिला, इस पर चलते हैं. असल में सोमवार से लेकर आज मंगलवार तक दो दिनों में इस आशय की इतनी खबरें सामने आईं, जिनसे देश का नाम बदले जाने जैसी भावना के संकेत मिलते हैं. मंगलवार सुबह ही सामने आया कि, भारत के प्रेसीडेंसी G20 ने नया हैंडल G-20 भारत लॉन्च किया है. यह G20 का अतिरिक्त एक्स अकाउंट होगा. इसके तहत G20 से संबधित टिप्पणियां और सूचनाएं भारत के आधिकारिक नाम से जारी की जाएंगी.

इसी तरह दूसरी खबर ये है कि राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 डिनर के लिए जो निमंत्रण पत्र भेजा है, वह भी ‘भारत के राष्ट्रपति’ (‘President of Bharat’) के नाम से भेजा है. जबकि अभी तक इसके लिए सामान्य प्रचलन में President of India ही प्रयोग किया जाता रहा है. इस बारे में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने X (ट्वीट) करके जानकारी दी है. कांग्रेस सांसद ने लिखा कि, ‘तो ये खबर वाकई सच है… राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को G20 रात्रिभोज के लिए सामान्य ‘भारत के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है. इसकी पुष्टि करते हुए निमंत्रण पत्र की एक तस्वीर भी सामने आई है. यह निमंत्रण एक मंत्री के नाम पर आया है, जिस पर ‘भारत के राष्ट्रपति’ दर्ज है.

इसी तरह सोमवार को, खबर आई कि बीजेपी राज्य सभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भारत के संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ‘इंडिया शब्द गुलामी का पर्याय है और संविधान संशोधन से इसको हटा देना चाहिए. हरनाथ सिंह जैसी ही बात नरेश बंसल ने भी की है. इन सांसदों का मानना है कि किसी देश के दो नाम हो सकते हैं क्या? इन सांसदों का ये भी मानना हैं इंडिया ग़ुलामी का प्रतीक हैं जबकि, भारत हमारी विरासत की पहचान है.

इन्हीं जारी अटकलों के बीच जब इस पर चर्चा बढ़ने लगी और विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी तो असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने भी X (ट्वीट) पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि, भारत गणराज्य – खुशी और गर्व है कि हमारी सभ्यता साहसपूर्वक अमृत काल की ओर आगे बढ़ रही है.

ये तो रही बीते दो दिनों की बात, लेकिन थोड़ा और पीछे चलें को आरएसएस भी इस लाइन में खड़ी दिखती है जो ऐसी ही मांग को दोहरा रही है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बीते शुक्रवार को कहा था कि इंडिया की जगह भारत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने लोगों से यह अपनी आदत में शुमार करने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि भारत नाम प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए. भागवत ने बीते शुक्रवार को सकल जैन समाज के एक कार्यक्रम में पहुंचे हुए थे. उन्होंने कहा, “हमारे देश का नाम सदियों से भारत रहा है. भाषा कोई भी हो, नाम एक ही रहता है.”

“हमारा देश भारत है और हमें ‘इंडिया’ शब्द का उपयोग बंद करना होगा और सभी व्यावहारिक क्षेत्रों में भारत का उपयोग करना शुरू करना होगा, तभी परिवर्तन होगा. हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा.” एकीकरण की शक्ति पर जोर देते हुए, भागवत ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो सभी को एकजुट करता है और कहा, आज दुनिया को हमारी जरूरत है. हमारे बिना, दुनिया नहीं चल सकती. हमने योग के माध्यम से दुनिया को जोड़ा है.

उधर कांग्रेस नेता, सुप्रिया श्रीनेत ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए, पीएम मोदी और उनके मंत्रियों को डरा हुआ बताया. उन्होंने ट्वीट किया कि 9 सितंबर को जी20 के लिए राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा आयोजित रात्रिभोज के लिए विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और मुख्यमंत्रियों को आधिकारिक निमंत्रण भेजा गया है. इसमें President of Republic of India के बजाय, President of Republic of Bharat लिखा है. उन्होंने लिखा, मोदी और उनके मंत्री भारत से इसी तरह परेशान हैं. वे बहुत डरे हुए हैं. आपको यह रिपोर्ट कैसी लगी हमे कमेंट कर जरूर बताएं धन्यवाद

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